SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 320
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 315 1 या वानगी खाधे राखो तो शुधाय? तमे डांधे खा सेवा नही तमेतो हेर भल्या च्छी तैनाथी हूरे रहो यहा चापने याच मानी छोडो नहि निश्यनयतो लसलसाने मिष्याष्टि उहेरो साहिनाथ अतु उसाल पूर्व संसारमा रहेला के प्यारे निश्शयनच तेमने मिध्यादृष्टि उहे हे काराडे ते के छे ते सायरता नधी. निष्यनयनी वातो खत्यारे समंग्या पूरती न हरवानी होय छ := या काजमा निश्यय नयनाः समंडितनो छेहर बहुमता " निर्विकल्च साहेजक:- हा, केम केवलज्ञान : क्षियक थी लीं खशय के प्रेम निण्ययनयनुं समंडिन चाम खशय क्यारे खात्मा खाले प्यार न्ते चामी खायलूने शुल संडल्य - विकल्प खत्यारे खायाने निर्विकल्य हशामा डाय छे खाचारे होच छे.. रोधी हशा नही हु ९३ समाजतनी न वात महापुरषो उहें 3 खटडी छे सत्या भय ભૂવારનયના केनो महिमा गाता चामवाली धर्मविना अध बहुगतनी आत्माने गेबेन्द्री खाये छे पुल्यानुसंधी पुल्चको अनुबंध धाय पंछी निहायत चाप नहि जने के जांधे तो हमक बाँही समाजतीनी गमे तेवी हिंसानी प्रवृत्ति होयतो चला पाय हणूवु ज खने युल्य धलु कांही.. खनुजर्व युधनों Gig & क्यारे निययनयनुं लैपनि हरियाली माने छे व्यवहारनय-लेह | ज्ञान मांगे छे 25 येतन पंखेनी इजलों - लेह मांगे हे समकित
SR No.005862
Book TitleAnukampadan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYugbhushanvijay
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages400
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy