SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 318
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 3139 के क्यार खात्मा समडिन ने पान्यो खेटले मोक्षमार्ग पर स्थिर थ्यो इहेपाशे. बस त्यां लेने त्यांनेने १० विराजने चिपे जावे हे पर्नजधर हशाथी कुव घुटनो अनुबंध पांडे के कैनामा वैराग्य ने कव पायनो अनुबंध करे छे. थोडो होतो वयलो पिरियड हेबाय विवे छे પાપ બીધે પણ અનુ तो समंडिनी खात्मा युट्य पुष्यनो चाडे मोक्षमॉर्गनी चाडे मोक्षमार्गनी जहार रहेला ग ड्यांनो चुल्य ड्‌यांतो याच जोधी शुडे या अनुबंध पायनो चाडे. सने संज्ञान्ती डाणं वाजा होयते यतीना 281 अमाही यूमाली अनुबंध याजे खेडू माहास के खावना જ सविवेड ने बीछे के अनेक रोगोधी थोडाच छे, ते रोजीस्ट उवाच, क्यारे होघे व्यक्ति हवा, यरी. पथ याचे के तो धीरे धीरे रोग भेटला 21 घंटे नेटला 251 आरोग्य खाच् उपाय, क्यारे संपूर्ण रोग नाजूह धाय प्यारे संपूर्ण खारोग्य खायु उहेलाच, वेम रोग होने सारोग्य र अवस्था बुदी के रोगमांधी यारोग्य तरह नेवानी हा ते साती छठमा चापनो अनुबंध चडे छे खने मिथ्यात्व गांधी समातिनी भूमिका तरह गति डरनार के थोडा थोडा पहयना अनुबंध पडे 3. सला: - व्यवहारनयनुं समाजत लेवानंद साहेब:- यहीं शुद्ध व्यवहारनय सेवामो अव्यबी खायार चाजता हो तो अशुद्ध तमे ब्यारे समाजत उहेबाशे धार प्रती समदिन उथरो छो ने.र तमे વ્યવહાર उरसरो को प्यारे
SR No.005862
Book TitleAnukampadan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYugbhushanvijay
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages400
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy