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चिंतन मनन दुरकु 50 309
कशे
'सासा
पैरात्रीने
लेखे. वारंवार चिंतन उराशी शुललाको हठ धरो पने शुलना बजता धै राज्य नो लाव "खावतो दर्शन करतां वैराग्य न धाय तेषु जने के नहि तीर्थंकरे भुगतनी ख चिंता हरीने पुल्यानुसंधी पुष्यू बाँधु ऐ., डारला तेमने संसार દુઃખમય
कधी दुनियाना
धैराग्य वगरना शुभ लाव मनी मैत्री अमोह "
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केनानु पापानजधी पुल्याच
सामायिक उयो धर्म है, यहाँ तेमा પણ वैराज्य विवेक खनिवार्य इंडन पापनो व्याग न करता यायनी रथिनो ने चायना रसनो चला त्याग कर ले ये नहितो ईडन सामायिक પુ૨તા બંધ પુણ્યને પડે પણ અનુબંધ પાપને પડે,
भेनामा विधी ते जहा a