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________________ साहेजका पंचाजोतो खुश वहाल छे, तेथी खायता उरता भुनना हरना ० पत्ये 'शरीरना • छःखने महत्व न सुखने महत्व खाच्यु जाय छ महत्वना मानो છો ? माने छे तेल क्यारे वितराग जस हरना ह!जोने छः जोन महत्वना लडित डरी शशे के वितरागनी साथी यासे लडित दुखा खावे त्यांरे देने बाचके तु सुखी के हुं दुःखी . मने तारी या छेतेने यासू स्था. विडारी ने यायोगांधी उचारे मूडल थाउ तेन तासावेली होय. है. मैंने बागोरा, बेष ने मेरी शाजाशी आयेतो पहल नो अनुलवध ६.2 वितराग लावने જ < यामी शकशे, ने तेन चायनो इस तोड़ी शे. चांचनो रूस राखी ने यूण्यना अनुबंध चांडी न शकाच प्रेम लिखारी ने भेता अनुया भने प्यारे तेना प्रत्ये घ्या बुद्धि लगे वे घायडे खा संसारमा छे ने ६ चलू व डमेनु स्वरूप हालत भेग्ने भेळचे उ भूतगणना याचळी छःखी छे, ने तेना ध्यानी शडयता नही, जघु विचारता डरीचेतो धनु खायो यहां धर्मेन बैराधना जाग लाय चहा कुव हेवु के तेजी प्यारे ते गुलोनो विडांस हो तेनु परसोडमा शु धशे. વાગ્ય धायडे खनत काज सुभ रजडश मनमा धंवा बोधेथे नें संहर वैराग्यनी लाव साहेजकः - चल बला सशुललावूनी मान्यता 308 المين तुम हर यह तेनी धाय ? यात: स्वरचकु संसारना साया, भानु वारवार
SR No.005862
Book TitleAnukampadan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYugbhushanvijay
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages400
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size8 MB
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