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________________ 27 समचड़ ज्ञान हान छे, पछी खलचहान, पछी धनची हे ه धता चला वर्गाला बाय छे • धर्म छे चहातेमा हात लगवानमा छ. ते जे छे. अनुउँचाहान नै सुपात्र हान या धर्म अनुप पाहात हुता सुपात्र हान घरं ब्यू हसा धर्म साहो तुलना ९ब्वाची नै हसा धर्मने दया धर्म साधे तुलना seयाधी चाप लागे छे रंगा मियात्युं छे. लडित से खेड प्रहारनो हुयी ने नीसी लडिंत समकवी चडे मेहिर मां को घून मयालो, संगीतना कससा प्रलुनी लडिन लाव विलोर धोने उसेतो चरंग से बाडत साधुनी लडित भामे नीजी गुलाब ठंसी लाडिन डरानो साधने के अधिकार छ, महिरमा हृदयची कतने लूसीने परमात्मा तन्मय बहने नायनारा खावड डरना साधु महात्मा, के मेहिरमो नचरंग जेठा होया खने उपादाय मां होय तो चला ने लडित उंची लडित छे, सा आये सामे छा समा:- तो चली रावलला मेोहरी की लडिंत डेवी? साहेब:- तेमनी लांडिल, नेमने केवी श्राहती देवं व तेमनु समर्पण हुतु न्यारे जीलने प्रमाी समर्थान पहा होय. या 525 ह्तो चल साबु लाडानी तोले तो ते लडिन नंब प्रत्येक धर्मका अनुष्ठाननी धर्म न उहेवाय, माटे नही या हसका धर्मने धर्मने नीयों मानो तोते खाते: खाम हुक्षा चड्डो धर्म हलको धर्म जराज छेतेन दयो मानो उसने ठ्या घटलीन मोटी गैरसमण छे. •
SR No.005862
Book TitleAnukampadan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYugbhushanvijay
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages400
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size8 MB
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