SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 30
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ विवेक भय छे ध्यानी लकितनी व्याख्या ने मायहेड चीत शु हू समे मानबध्याना विरोधी नही चला मानव सेवाना विरोधी छीखे खाम जर्छु विवेडयूर्वड समलुने विचारले. 11 प. पू. श्री युगभूषणविन्य अनुउंचाहान 22-9.cr गुरुवार 26 यानंतज्ञानी श्री नीर्थंकर अनंत उपकारी परमात्मा भगूठना भवमात्रने धर्मना उत्तरोत्तर श्रेष् धर्मनीर्धनी स्थापना भूमिजनो प्रबोध दुशवनारा 150 कक्षा प्रमालले तेमा जदी सदगुरुल्यो नमताथोपाटी हानधर्ममां समान ज्ञानी बोली हष्ट्रि खात्याला साधक केटलो या धर्म छे, ते जधीक धर्ममा समावेश धर्ध भय छ, परंतु तेमा उथली कक्षाने नीयली डक्षानों धर्म समन्वो पडे जधा ४. धर्मोनु खेडसराजु मूल्यांकन उखानु नथी कुछ लूमिडानी उछे ४क्षा छे, ते समक कळखे धतू जाह्य तय हुश्ता खत्यंतर तूप ठ्यो छे रखने तेमा या ध्यानयोग પાયામાં શ્રેષ્ઠ તપ बाय छे तेवी व घ्या जैसी ुछे ધ્યા નીમી તે लेहरेजा चडे छे. क्षपोरगीना रीते यामां • સમવું પડે खाना घगा नहीं स्तरना f प्रकारो के चा सीधी श्रेष्ठ
SR No.005862
Book TitleAnukampadan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYugbhushanvijay
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages400
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy