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तिने बुद्धि साधे डांघ सेवा हेबा नाही. पोनचोतान सोंपेलू छे. खेड धर्मखा खसर . बेड र्म खाली खसर दुबे, मोटी हुपनी खमा केम खेडजीने खाना सोयी होला होय छे, तेमा रेनु के खातु होय ते तेने
समाजवा
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ज्ञानावरणीय अनु शुं
शाक्तने खावरे भेटला जनी ते खज्ञान अजूस बनावे च
ज्ञान
सार जराज नाववामां देना पर खसर मोहनीय कर्म करे छे. बुद्धिमा के रिझर याच के दोमा के निडायित मोहनीच होचतो तेना अमालले धो. अनितिमा बनुं नयी खहीं चल खनेकांतवाद खापशे ले' कर्मानुसारी'बुद्धि उहेशोतो जधी जाक तमाश हाथमाधी सरी करो.
चायनी जुधि धर्म डरावे. कर्म पहा चापश्पे बजे तेना बचचो छःज यत्र कर्म खाये. खेषु जघुव के कर्म उरावे तो तमारे शुंडखान रहनु नधी- धर्मानुसारी जुधि से ईडन निजयिनमा बागे खनिजासून कर्मोमा नहि मावी बुद्धि गुरुको खाये त्यांचे थवा देवो हवे तेनी फ्रेम खडार खाडित लघु थवा हेतु ? सने लगाने भेया रान 2 तो यही क्षमाली वानो चला ड्रामी केखा सिद्धांत व्यवहार बीच
नी
नगर न न रही,
सगाडीचे तो लय में
फट्ट के जानू - गर्डे नेटला तुमने तमाशमा ने
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वह नय
स्वाखा धर्म नो
वह नय