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________________ 247 कचारे खाती महाव्रतो हे सामान्य गुइमुजे डे मुडया छे उसमे है यखागो बोलीचे छीजे ते समने छौं जशूर ड़े पछी चखखाला साथ 8 अम् तेना खर्च साथै शुं ड्रामा परयखाता चला क सेवाना ठे शूरतू नै प्रतिज्ञा-संघ होचू तेना मुझे प्रतिज्ञा लेतो तेनाधी ज भजे छें मुजबी वो चखखाटा जधाखे लावानूं नाह ? खाली महाराव जोले खने ल्हो खमे शुं जोलीचे छी वे समने तो खजर चडे सव्यं समाहि पतिचा गारां जधा धर्मनु खतिम लक्ष्य समाधि छे समाधिन रहेती होचतो गमे तेवा व्रतं पाजतो मनसूब Lovent भे सजाधि न रहेती होय. पने छोड़ी होतो होष नही पहल खामा खर्धनो खर्चना वर्च वो सिर टंडती होय • " वृधी दुब्वानो साचे समाधि न न डरखानुं छे, खामडल्याल मारे महाव्रतों सीधा छे समस्या में उत्सर्जना માં અપવાદથી થતુ હોય તે તે પ્રમાણે કથાનું सा सापेक्ष छें। रैयाहवाह दृष्टि जनशे खूमारा खात्मडल्यादा खाने जीवना आमचा मार्टू अवृत्तिलंग डरेतो होष नही यहां स्थार्थमारे हरेतो होष यूरो छे योग्य साधननों सहउपयो વાના માટે આ દેખાતુ ઉપડરણ પ્રકરણ जननुं वली आापवा हे साधुने खनुच्या साजित हुरी चिलल શમાંગ नाह प्रसंग विशेष छूट खादी और ष्टांतमा दीक्षां खपीने खवा, खेवी दीक्षा साच्या वगर यहा लिक्षां खापेली निहायत साले डाले थे. या अनुपा छो ठ اد
SR No.005862
Book TitleAnukampadan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYugbhushanvijay
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages400
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size8 MB
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