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________________ 2 "ते सरि शे धूशे, साधु खहिंसक - पर्धातथी निजवे के उपयोग यहाँ सहिंसक पद्धतथी ने निडास चा દંડ પૂતિથી ज्यांचया होष न लागे ते रीते वायरवानुं तथा लेवानुं छे. देवा माटे साधुने वायवा 11 " CASA C MRP समितिने निहाल खेषगा समीति "1 खाहान लंडमत्त निज्जेवला यारिष्ठा पनूडा समिति के साधुने ऊंचाच या डोधे भुवनी विराधना न थवो भेोंसे ने दि ४ वर्तन उरखानु छं खमे तो डोधने सायीचे ધઙગ धवानु या दुखानु सेटले 246 " प्रमुखे ब्राह्माने डारा हशे तेना ६ःखहर्छ वख खायवानु शु ६२ डबवानो के तेने धर्म प्रमाढवानो खाराच हतो? धर्म चाडवानो खाशय हतो कैमा खेड सो मार्ग यडशे खेटले नेनाधी सहिंसा ईलारी. ધડળ ન जन्या चहा धर्मन सचिन जन्यु छे. भोलाना गुलामा सांगत राठवा : जुं साधन जन् छे खने नया गुलोनी प्राप्ति थाय छे. अँड भूवने स‌मार्गनी प्राप्ति उरांवो पेटले तुमने लवोलव सन्मार्गनी प्राजित याचू उसी भूमिडानी विकास खां महात्माने नहीं साम्रगी मजशे साधु मारे धाय: दुरता खागण वधारे सारी खावी अनुपा हित न छत्ता पल खावी खपूवाह३५ ४ छेः स्व खने चरना हितमारे चयणारा पाणीने घाचतो पय्याजानु महत्व नही रहेतु.
SR No.005862
Book TitleAnukampadan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYugbhushanvijay
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages400
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size8 MB
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