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________________ 200 'साधने नही उपाय 20 नमहिरो जेवावयामा हिंसा छेने कहंसा अगर धर्मस्थान को छूता नही खा उपाश्रयो तीर्थस्थानो धर्मशालाखो जधामा छ 3. नज रक्त खय तेने ö खाडाम व्याक्ती गणावायु छे तेमा केटली हिंसा बैठ नेना છતા આજ ધમથાનકોથી ડરે વી हिंसा ईलाशे मोटा नहा माटे थोड़ो डखों पडे तेवी खा हिंसा छे तेथी संपूर्ण व्याजी जववी. जनवी, रा जधाने महान धर्म लो छि, अधर्म नाहः साल खने होषनुं मूल्यांकन करोतो उत्तम व सागरी वा बहू। सारा डटचाला मारना उत्ड्र्यू खासजनो छेकेखो जधाना नवना संपर्कमा होय छे ते जघाना धर्मभाव धागा होय छे हस वस धर्मस्थान डोधी दूर होतो. चला भय -2 तेनी प्रेरणा माटे सारा वियाको, तमाश मानस उबू बचे सार प्रवृत्ति सायों धर्म खासजनो रुमहचाबी मजे छे. ४ होटेलमा डां गुशोनो डांघ गुशोनो विकास धो नधी, या जहा बगर मुशल रखा जधा डॉयम छे खा व्यवस्था डारा खाजधी वस्तु सरजहू पुष्य साल चावंडो से करवानी साधुनी लुमिडामा तेमही भवनलर हिंसा करंबी हरावली नाही तेम ४ खेड 5. कवनी बहिया सर्व कुपनी, रखने नेमा या खधर्म के पापनी नहि चहा धर्म नी हि साना साना त्याग लेमने काडून व्याज हाय कुि पल " الله धर्म डावलो प्रथमा सनिवार्य है जघुव छे रखने साधु खोये नाह - ܦ
SR No.005862
Book TitleAnukampadan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYugbhushanvijay
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages400
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size8 MB
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