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________________ 159 વંશવા ઊડ્યુ खायो नेमा क्या चहा हिशानी होष लागे त्यां खमारे ज्ञाननों उपयोग दुरखानो नयी खमे डरला छि, तेही खो खमारी धर्म जधी सहना:- साधर्मिक ने रोकडा चिया खपाटा ? साहेज :- तमु घरमा नोहरने 100- 1००३ नमने वाँधी नही होतो या साधर्मिधुने खायता ने मोनमा डरी पाप जधरी तेम वियारी नेन खाचो ते जराजर नही खेल तो ब३२धी विचारने के थे तो चाय मां हा, तमारे डोळया भतनी हिंसा न करवी खेला परययाला होय तो प्रभावना दुःखी नहि दुरावली नहि चली तो यूथ કવાની પણ જરૂ૨ નથી ઙારણ संवासानुर्मान ४ जेठों श्राखंड छे - सला:- खत्यारना आजमां होो शडेट सनाः धर्मस्थानकोमा साहेजत - हा छ, मे भते भेचा छे गीकर वगेरे छीखे तेने धर्मस्थानकमा साहेजल : घरमा वापरतु खाता हो तेथी जवडावाय - ܗܘ कराचठ्ठ उहीये ઘ૨મા બટાટા संघ भमामा नब योग्य घती हिंसा ने 8 हिंसा - कवनमा उल४३५ डाछू उपादाय मा ગૃહસ્થને યોગ્ય यहा मां सेवानी गाय तेवी प्रवृति धर्ममा पीउ छु तेथी न४. डराय, सिगारेट કહે તેની प्रभावना न न कराया के वस्तु गेरख्यान्जी नही तेवी हिंसाथी थलो तमारी भूमिकामा ઠરવાની धर्म नमे भते ४३२ पडे तो पाया, शरबत चला पीखो, खने उथित छे २५ वानगी क्यारे जीलने
SR No.005862
Book TitleAnukampadan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYugbhushanvijay
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages400
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size8 MB
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