SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 161
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 158 15रखानो व्हे, साधुके स्था साधु इडन तमाश हेरासर संधाववानुं न तेमने डाम रखा दुराववाना नवी. उर्तव्य उपदेश खापे इथे उहे नाही तो खाईल्समाईल चाप लागे ! चलू ellas माट लाल छ. साधुने सावध अनुमोहनानी छूट छे, यहा ९२ डरावानो निषेध छे सहिया तमे चडे ५० शनी प्रजावना करोने धर्म छे, साधर्मिक लाडत डरवाधी हवेने चैसाथी कोहे 115 चायना काम धया तेबी वगेरे सालू ४ मजश सावे, खनाथ साथ भुलावना न डरवी નવું નથી. વાવનાં દરવાસી વર્કનું ાન જ ચાપ या साधु प्रत्भावना सला:- बाहेज तमे गांधी सावो 2 नेपाने पड्डी साहेजळू : शोयरीमा बाबु के तमारा केल ने डावु तो मुने पाय ४ सागे मारा मार ख व्याळजी न ४ उहेवाय , समार माट भूमिका प्रमाणे धर्म अधर्म को लेह के तेमां लेनसेज दुराय नहि. 5201 कशवानी का पटा छूट नही हा साधु ज्ञानी ज्ञाननी प्रभावना डुरी गडे या मिथ्या ज्ञाननी नहि ज्ञान युग के खारल खमारे नहि उहेवानु. भगता होय तेथी खोहवानुं ने मुर्हत समा मुर्हत झूठी खापवानी झारला खारलं समारल धे नमे भेषी पासे मुर्हत उठादी खावी यही समे साधु के डे खोड ते उही खापीचे. qपराचतो साधु व्योतिष विद्या बाँधवा माई यायो हेरासर 5 ठाववा • .
SR No.005862
Book TitleAnukampadan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYugbhushanvijay
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages400
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy