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________________ 149 तजाव माछता बंधाववामा शांति साहिने આપતા अधी प्रवृतिने स्थावा अनुयामा गावी है नाहर झूण्डायने छैन धर्म सुमुयामा ती द्वारा नहीं गातो हवे के या हार्यो सनुड्यांनी नुगलाया शिष्‍ भूम्न थदोड़े शांतमाता सॅलजाय छे ङे संप्रत शलखे हलरा हान शाळा खोली વસ્તુપાળ જપા. ૐટલા ફૂવા -તળાવ ખોદાવ્યા તથા कगडुशाले हुडाणं वखते जाँ नं रचनाक खाहि पूरा चाडला परहेमा यहा संभाळ मोडलेलं हूंडाजना संधाला मजला तेमनी शक्ति मुघल नावना डोहारो तुला डरी होला तेही समये जघाने खनाल पूरु पांडी उला Esin खावा बखते तो जीने माहास तेटला ना तुला डरी रांडे यहां खामी तो हाथ हान प्रवृत्ति उरी, खावाती यानेड हष्टीती पुरावा शासन प्रधुत समंत शंडो छोड़े प्रवृत्ति हवे खामा व्यक्ति खोना हुः हूर डुरवा मात्रन त्यावनाथी या प्रवृत्ति ब्यों नही डरी यहां डवला शासन फ़्लावनाना लक्ष्यधी - प्रलाव वो खने डरेला देवी खाना आरा भगतमा महिमा ने प्रब्बे डरी राडे थयेली याय ने धर्म यानी थारंभ उत्चाल આ જ ભાવના થી प्रवृत्तियो यहाँ हान शाजाची खोली तेमा - कवीने >1134 बरो, पहा चालींना चहा त्रास साधे हिंसा धरो घोडान घलाने त्रास धशे तो पछी खा बहुमान . संपत्ति रायखे प्रवृत्तिखो धर्मनी सोकोने छैन धर्म
SR No.005862
Book TitleAnukampadan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYugbhushanvijay
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages400
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size8 MB
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