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14. पू. श्रीयुगभूषावल्ल सहगुरुल्यो नमः 148
13.c.cr
अनुइँयाहान
सोपाटी
जुधवार
परमात्मा
सानैत उपडारी खनंत ज्ञानी श्री तीर्थंक बुगतना कवमात्रानी हितासंताथी धर्मनीर्थनी स्थापना शासननो खेलो डीधे नव नही ड्डे डे नेनी हित चिंता माटे अत्मुद्ध अत्मुखे सम्चड रीते समुचित वियार नड्यो होय. सत्यार धर्म खाराधनामा
हुरे छे
छेवे विद्याराय छे, खने
केटलो धर्म गुलंचोषक साधे होयोनुं पोष धनु नची ते भेवाय छे. हे जाती हिंसा छे ने सामे वजतरमा हिंशा खाने छे हरेक धर्मनी प्रवृत्ति करना हिंसा हे जायन
·
विया खानु 9 खानाथी सहिंसा केबी धरो के भुवो
पला
ण्ठ
मरे के तेमा लखेगा तेमा धली न
समायेली छे, रखने हिंसा छुपायेली छे भूष्यनि खन ब्यायो नग्नने वस्त्र खापो ना.जो • घर वगरंनाने घर स्थायी माटे धंधो शेळगार खायो
1
অधी
पशुने घासयारो सारस लांज प्रवृत्ति साधे साधे हुतराने शेटला खायो ड्यूनरने
या नाच्यो, डीडाने बोट नाजो खा जधामो के भवाने शांति खायो छो, तेना करता खंड लोने त्रास धाय छे म घास પવડાવવાથી गायने थोडा बखतू माहे शांति मजरो 4. कवोन देतो 3 जूवरने सागु पडशे
घासना
साथै पडशे ! इतराने शेटला नाजो
જ નિયમ
पहा घरगा कवोनो मनुष्चनी
खतमो जोसा शे दुवागां परंपरा यासशे
العالم
त्रास थला नाजवामां
खामा
ܙܚܝ
ܙܗܟ
+
खेती व्
रीने
घ्या
शेळगार व्यापशी तो डेटली हिंसानी