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________________ . अथ चतुर्थी धूप पूजा । ॥दोहा॥ चोथी पूजा धूपनी, करियें हर्ष अमंद । कुमति मिथ्यात्व निवारजो, पूजो श्रीहीरसूरींद ॥ १॥ ॥ ढाल॥ अगर चंदन वली मृगमद, कुंदरु ने लोबान वस्तु सुगंध मिलाय के, करिये ए धूपधान ॥ १॥ धूप करो गुरु सन्मुख, आणी भाव विशाल । जिम पामो भवि संमति, दिन दिन मंगल माल ॥ २॥ ॥ श्लोक ॥ समसुगन्धकरं तपधूपनं सकलजन्तुमहोदयकारणम् सकलवाञ्छितदायकनायकं श्रीगुरुहीरसूरिचरणं यजेत् ॥ १॥ ओं हौँ श्रीँ श्रीपरमगुरुश्रीहीरविजयसूरीश्वरचरणकमलेभ्यो ... . धूपं यजामहे नमः ॥ ४॥ . अथ पञ्चमी दीपकपूजा । . ॥दोहा॥ पांचमी पूजा गुरुतणी, करियें दीपक सार मिटे तिमिर मिथ्यात्व सब, एह पूजा अधिकार ॥ १॥ ... .. ॥ ढाल॥ भाव दीपक गुरु आगलें, धरिये शुभ व्यवहार द्रव्य दीपक भलें करीइ, जन्म सफल अवतार ॥ १॥ दीप पूजा करतां सही, लहीए ज्ञान विशाल ... गुरु पूजा मनोवांछित, आपे मंगल माल ॥ २॥ 200CPPBOO
SR No.005849
Book TitleHir Swadhyaya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahabodhivijay
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year1998
Total Pages356
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size6 MB
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