SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 261
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्रीजगदगुरुजी की छोटी अष्टप्रकारी पूजा प्रथम जलपूजा ॥ दोहा ॥ अह समसमरी सारदा, सदगुरु चरण नमाय वसुविध हीरसूरींद की, पूजा रचूं सुखदायं ॥ १॥ निर्मल जल भारी भरी, आणी अंग उमंग । गुरु पद की पूजा करूं, जिम सुख पाउं चंग ॥ २॥ ॥ ढाल सुरती ॥ पूजा पहिली करियें, गुरुपदनी सुखकार अनुभव वरीये निज गुण, धरिये अधिक उदार ॥ १ ॥ पूजा जलकी साचवे, चढते भाव परिणाम मिथ्यामल दूरे हरे, पामें निरमल ठाम ॥ २॥ ॥ श्लोक ॥ . अशुभकर्मविपाकनिवारणं परमशीतलभावविकासकम् स्व-पसवस्तुविकाशनमात्मनः श्रीगुरुहीरसूरीश्वरपूजनम् ॥ १ ॥ ओं ह्रीं श्रीं श्रीहीरविजयसूरीश्वरचरणकमलेभ्यो जलं यजामहे नमः ॥ १ ॥ द्वितीय चंदन पूजा । ॥ दोहा ॥ दूजी पूजा गुरुतणी, करीये चित्त उल्लास । मृगमद चंदनसुं मिली, केसर शुद्ध बरास ॥ १॥ २१९
SR No.005849
Book TitleHir Swadhyaya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahabodhivijay
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year1998
Total Pages356
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy