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काउसग्ग ध्यान अभिग्रह करे, प्रतिमा बार मनाय । दशवैकालिक नित्य जपे, चार क्रोड़ सज्झाय ॥ ३॥ पण्डित • एकसो आठ थे, साधु कई हजार । एक सूरि उवज्झाय आठ, यह गुरु का परिवार ॥ ४॥
- (ढाल-७) (तर्जरामकलि-केशरिया ने कैसे जिहाज तिराया) जगद् गुरु आज अमोलक पाया, नर भव सफल मनाया । टेर। जगद् गुरु ने जगत के हित में, सारा जीवन बिताया । आपके शिष्य प्रशिष्यो ने भी, कीना काम सवाया । जगत० । १। वाचक शान्तीचन्द्र गणि ने, कृपा ग्रन्थ बनाया । सुन कर शाहने अपने वदन में, मुरदा नहीं दफनाया । जगत० । २। कल्याणमल के कष्ट पिंजर से, खंभात संघ को छुड़ाया । हुमायूं का इल्म बताया, जम्बू सूत्र सूनाया । जगत० । ३। भानुचन्द्र ने शाही द्वारा, वाचक का पद पाया । शाही के पुत्र को ज्ञान पढाया, तीरथ पट्टा पाया । जगतः । ४। पटधर सेन 'सूरि आलम में, गौतम कल्प गवाया । . पाटण राजनगर खंभात में, पर गच्छी को हराया । जगत० । ५। सूरत में श्रीभूषणदेव. को, वाद में दूर भगाया । शाही सभा में पांच से भटसे, वाद में जय अपनाया । जगत० । ६।
अकबर से षट् जल्प को पाया, मृत धन आदि हटाया । सवाई हीर का बिरुद पाया, परतिख पुन्य गवाया । जगत० । ७।
अकबर के पण्डित सभ्यों में, जिनका नाम लिखाया । विजयसेन भाणचन्द्र अमर है, शासन राग सवाया । जगत० । ८। DO037840