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श्रीमुक्तिविजय रचित श्रीदादाजी श्रीहीरविजयसूरीश्वरजीकी आरति आरती श्रीगुरुदेव चरण की,
कुमति निवारण सुमति पूरण की आ० । पहेली आरती श्रीगुरुदेवकी, . ..,
- दुरित निवारण पुन्यकरण की आ० ॥ १ ॥ दूसरी आरती धरम धरन की,
अशुभ करमदल दूरी हरण की आ० ॥ २ ॥ तीसरी दश यति धरम धरन की,
तप निरमल उद्धार करण की आ० ॥ ३ ॥ चौथी संयम श्रुत धरम की,
शुद्ध दया रूप धरम बरघण की आ० ॥ ४ ॥ पांचमी छत्तीस गुणही ग्रहण की,
दिन दिन जस परताप करण की. आ० ॥ ५ ॥ एह विध आरती कीजै गुरुदेव की,
समरण करत भवताप हरण की आ० ॥ ६ ॥ आरती गावो गुरुदेव चरणकी,
मुक्तिविजय सुख लील वरणकी आ० ॥ ७ ॥ ॥ इति श्रीहीरसूरि आरति संपूर्णम् ॥
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