________________ 269 विवेयन :- मद्रेषु चरति सा - मद्रचरी = भद्रडेशम ३२नारी. मद्रचर् - चरेष्टः 5-1-138 थी. ट प्रत्यय. मद्रच+ट (अ)- अणजे... 2-4-20 थी डी प्रत्यय. मद्रचर्+अ डी - मा सूत्रथी डी नी पूर्वन! अ नो यो५. मद्रच+डी - मद्रचरी. डी 52 7di अनो४ दो५ थाय छ तेथी दण्डिनी, की विगेरेभा पूर्वन 7 અને 8 નો ફી પર છતાં લોપ થતો નથી. . मत्स्यस्य यः 2-4-87 अर्थ :- डी 52 छत मत्स्य न य नो दो५ थाय छे. विवेयन :- मत्स्यस्य स्त्री- मत्सी = भ॥७el मत्स्य - गौरादिभ्यो... 2-4-18 थी. डी प्रत्यय. मत्स्य+डी - अस्य... 2-4-86 थी अ नो दो५. मत्स्य्+डी - मा सूत्रथा य् नो दो५. मत्सी / व्यञ्जनात् तद्धितस्य 2-4-88 અર્થ - વ્યંજનથી પર રહેલાં તદ્ધિતનાં નોડી પ્રત્યય પર છતાં લુફ થાય છે. विवेयन :- मनोः अपत्यम् स्त्री - मनुषी = मनुष्यनु अपत्य स्त्री.. मनु - मनोर्याणौ... 6-1-84 थी य प्रत्यय भने मन्ते ष् मागम. .मनुष्य - गौरादि... 2-4-18 थी डी प्रत्यय... मनुष्य+डी - अस्य... 2-4-86 थी अ नो टो५. मनुष्य्-डी - // सूत्रथा व्यंxनथी 52 26i तद्वितनi य् नो दो५. मनुष्+डी - मनुषी. . व्यञ्जनादिति किम् ? कारिकायाः अपत्यम् - कारिकेयी = नटीन અપત્ય સ્ત્રી, ઊંટડી અથવા સાંઢણીનું સ્ત્રી સંતાન. कारिका - ङ्याप्त्यूङ 6-1-70 थी एयण् प्रत्यय. कारिका+एयण - अवर्णे... 7-4-68 थी आ नो दो५.