________________
શ્રી. સિદ્ધહેમચન્દ્રશબ્દાનુશાસનસૂત્રાકારાઘનુક્રમણિકા [ ૬૩૧
सूत्राङ्क ।
सूत्रम्ं । स्वाम्येऽधिः ॥ ३-१-१३ ॥ स्वार्थे ॥ ४-४-६० ॥
स्वेरोऽधिना ॥ २-२-१०४ ॥ स्वैर-ण्याम ॥ १-२-१५ ॥ स्सटि समः ॥ १-३-१२ ॥ हः काल० ॥ ५-१-६८ ।। हत्या भूयं० ॥ ५-१-३६ ॥ हनः ॥ २-३-८२ ॥ हनः सिच् ॥ ४-३-३८ ॥ हनश्च समूलात् ॥ ५-४-६३ ॥ हनुतः स्यस्य ॥ ४-४-४९ ॥ हनो घ ॥ २-३-९४ ॥ हनो नोर्वधे ॥ ४-३-९९ ॥ हनो णिन् ॥ ५-१-१६० ॥` हनोऽन्तर्धनो० ॥ ५-३-३४ ॥ हनो वध० ॥ ४-४-२१ ॥ हनो वा वधू च ॥५-३-४६॥ हनो हो मः ॥ २-१-११२ ॥ हरत्युत्सङ्गादेः ॥ ६-४-२३ ॥ हरितादेरञः ॥ ६-१-५५ ॥ हलक्रोडा० ॥ ५-२-८९ ॥ हलसोरादिकण् ॥६-३-१६१॥ हलसीरादिकण् ॥ ७-१-६ ॥ हलस्य कर्षे ॥ ७-१-२६ ॥ हवः शिति ॥ ४-१-१२ ॥
सूत्राङ्क ।
सूत्रम् । हविरन्न वा ॥ ७-१-२९ ॥ हविष्यष्टनः || ३-२-७३ ॥
हशश्वद्युगान्तः ॥ ५-२-१३ ॥ हशिटो ना० ॥ ३-४-५५ ॥
हस्तदन्त० ॥ ७-२-६८ ॥ हस्तप्राप्ये० ॥ ५- ३-७८ ॥ हस्तार्थाद्० ।। ५-४-६६॥ हस्तिषुरुषाद्वाण् ॥७-१-१४१॥ हस्तिबहु० ॥ ५-१-८६ ॥ हाकः ॥ ४-२-१०० ॥ हाको हिः० ॥ ४-४-१४ ॥ हान्तस्थाञ्० ॥ २-१-८१ ॥ हायनान्तात् ॥ ७-१-६८ ॥ हितनाम्नो वा ॥ ७-४-६० ॥ हितसुखाभ्याम् ॥ २-२-६५॥ हितादिभिः ॥ ३-१-७१ ॥ हिमहतिका० ॥ ३-२-९६ ॥ हिमालुः सहे ॥ ७-१-९० ॥ हिंसार्थादे० ॥ ५-४-७४ ॥ हीनात् स्वाङ्गादः ॥७-२-४५॥ हुधुटो हेधिः ॥ ४-२-८३॥
कोर्नवा ॥ २-२-८ ॥ हगो गत० ॥ ३-३-३८ ॥
गो वये० ॥ ५-१-९५ ॥ हृदयस्य० ॥ ३-२-९४ ॥