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११८ सिम - जामाविना
सूत्रम् । सूत्राङ्क। सूत्रम् । . सूत्राङ्क। वेत्तः कित् ॥ ३-४-५१ ॥ वोत्तरपदऽर्थे ॥ ७-२-१२५ ॥ वेतनवा ॥ ४-२-११६ ॥ वोत्तरात ॥ ७-२-१२१ ॥ वेदसहश्रु० ॥ ३-२-४१ ॥ वोदः ॥ ५-३-६१ ॥ वेदताऽनव्य० ॥२-४-९८ ॥ वोदश्चितः ॥ ६-२-१४४ ॥ वेदेन्ब्राह्मण ॥ ६-२-१३० ॥ वोपकादेः ॥ ६-१-१३० ॥ वेयिवदनाश्च० ।। ५-२-३ ॥ वोपमानातू ॥ ७-३-१४७ ॥ वेयुवोऽस्त्रियाः ।। १-४-३० ॥ वोत्तात् ॥ ३-३-१०६ ॥ वेरयः ॥४-१-७४ ॥ वोपादेरडाको च ॥७-३-३६॥ वेरशब्दे प्रथने ॥ ५-३-६९ ॥ वोमाभङ्गतिलात् ॥७-१-८३॥ वेदहः ॥ ५-२-६४ ॥ वोर्तुगः सेटि ॥ ४-३-४६ ॥ वेवेयू ॥४-४-१९ ॥
वोः ॥ ४-३-१९ ॥ वेविचकत्य० ॥ ५-२-५९ ॥ . वोः ॥ ४-३-६० ॥ विस्तृते० ॥ ७-१-१२३ ॥ वोचं दध्नट् ॥ ७-१-१४२॥ वेश्च द्रोः ॥ ५-२-५४ ॥ वोर्ध्वात् ॥ ७-३-१५६॥ वेष्टयादिभ्यः ॥ ६-४-६५ ॥ वो विधूनने जः॥ ४-२-१९ ॥ वेसुसोऽपे० ॥ २-३-११ ॥ वोशनसो० ॥ १-४-८० ॥ वैकत्र द्वयोः ॥ २-२-८५ ॥ वोशीनरेषु ॥ ६-३-३७ ॥ वैकव्यअने० ॥ ३-२-१०५ ॥ वौ वर्तिका ॥ २-४-११० ॥ वैकात् ॥ ७-३-५५ ॥ वौ विष्कसे वा॥ ४-४-९६॥ वैकात् ॥ ७-३-५२ ॥
वौ व्यञ्जनादेः० ॥ ४-३-२५ ॥ वैक्वाध्यमञ् ॥ ७-२-१०६ ॥ वौष्ठौतौ० ॥ १-२-१७ ॥ वैडूर्यः ॥ ६-३-१५८ ॥ व्यः ॥ ४-१-७७ ॥ वैणे कणः ॥ ५-३-२७ ॥ व्यक्तवाचां० ॥ ३-३-७९ ॥ वोतात्प्राकू ॥५-४-११ ॥ व्यचोऽनसि ॥४-१-८२ ॥ वोत्तरपदे-ह्नः ॥ २-३-७५ ॥ | व्यञ्जनस्या० ॥४-१-४४ ॥