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श्री सिमय-२-Iशासनसूत्र॥ ४॥२॥धातुम [ १०१
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सूत्रम् । सूत्राङ्क । । सूत्रम् । सूत्राङ्क । पात्पादस्याह० ॥ ७-३-१४८॥ | पुंवत् कर्म० ॥३-२-५७ ॥ पात्राचिता० ।। ६-४-१६३ ॥ पुंसः ॥२-३-३॥ पात्रात्तौ ।। ६-४-२८० ॥ पुंसा पुमन्सू ॥ १-४-७३ ॥ पात्रेसमि-यः ॥३-१-९१ ॥ पुंस्त्रियोः० ॥ १-१-२९ ॥ पाव्यशूद्रस्य ॥३-१-१४३ ॥ पुच्छात् ॥ २-४-४१ ॥ पादाद्योः ॥ २-१-२८ ॥ पुच्छादुत्० ॥ ३-४-३९ ॥ पाद्यायें ॥ ७-१-२३ ॥ पुञ्जनुषो० ॥ ३-२-१३ ॥ पानस्य० ॥ ५-३-६९ ॥ पुत्रस्यादि० ॥ १-३-३८ ॥ पापहीयमानेन ॥ ७-२-८६ ॥ पत्राधेयौ ॥ ६-४-१५४ ॥ पारावारं-च ॥ ७-१-१०१ ॥ पुत्रान्तात् ॥ ६-१-१११ ॥ पारावारादीनः ॥ ६-३-६ ॥ पुत्रे ॥३-२-४० ॥ पारेमध्ये० ॥ ३-१-३० ॥ पुत्रे वा ॥३-२-३१ ॥ पार्थादिभ्यः ॥५-१-१३५॥ पुनरेकेषाम् ॥ ४-१-१० ॥ पाशाच्छासा० ॥ ४-२-२०॥ पुनर्भूपुत्र० ॥ ६-१-३९ ॥ पाशादेश्च ल्यः ॥६-२-२५ ॥ पुमनडुन्नो० ॥ ७-३-१७३ ॥ पिता मात्रा वा॥३-१-१२२॥ पुमोऽशि० ॥ १-३-९॥ पितुर्यो वा ॥ ६-३-१५१ ॥ पुरंदरभगंदरौ ॥५-१-११४॥ पितृमातुर्य० ॥ ६-२-६२ ॥ पुराणे कल्पे ॥ ६-३-१८७ ॥ पित्तिथट० ॥ ७-१-१६० ॥ पुरायावतो० ॥ ५-३-७॥ पित्रो महट् ॥ ६-२-६३ ॥ पुरुमगध०॥ ६-१-११६ ॥ पिबैतिदामू० ।। ४-३-६६ ॥ पुरुषः स्त्रिया ॥३-१-१२६ ॥ पिष्टात् ॥ ६-२-५३ ॥ पुरुषहृद० ॥ ७-१-७० ॥ पीलासाल्वा० ॥ ६-१-६८ ॥. पुरुषात्कृत० ॥६-२-२९ ॥ पील्वादेः-के ॥ ७-१-८७ ॥ पुरुषाद्वा ॥२-४-२५ ॥ पुंन्नाम्नि-घः ॥ ५-३-१३०॥ | पुरुषायु० ॥ ७-३-१२० ॥