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૩૨૨ આવશ્યકનિયુક્તિ હરિભદ્રીયવૃત્તિ અકારાદિક્રમ सुअनाणंमि अभत्ती ..... ॥१४०९॥ | सुविहिय दुविहियं ..... ॥११२३॥| सोऊण अणाउढेि ......॥८७७॥ सुअनाणंमिवि जीवो...... ॥१४॥ | सुस्सूसइ पडिपुच्छइ...... ॥२२॥| सोऊण कीरमाणी...... ॥५९८॥ सुकयं आणत्तिं पिव ..... ॥१५२७॥ | सुहुमो य होइ...... ॥३७॥| सोरिअ सुरवरेवि अ..... ॥१२९५॥ सुक्कंबरा य समणा ...... ॥३५७॥ सूरे १७ सुदंसणे १८... ॥३८९॥| सोरियसमुद्दविजए ..... ॥१२९६॥ सुक्कज्झाणसुभाविय०.ध्या.८७॥ | सूरोदय पच्छिमाए ..... ॥५५५॥ सोलस चेव सहस्सा ...... प्र.॥ सुक्काए लेसाए दो .... ॥ध्या.८९॥ | सेएण कक्खमाई...... पा. २६॥| | सोलस रायसहस्सा... ॥७ ॥ सुग्गीवे ९ दढरहे १०.... ॥३८८॥ | सेज्जं ठाणं च जदा.... ॥६९६॥| सोलस वासाणि.... भा.१२७॥ सुचिरपि अच्छमाणो.... ॥१११४॥ | सेज्जं ठाणं च.... ॥६९५॥| सोहम्मकप्पवासी ...... ॥४९९॥ सुचिरंपि अच्छमाणो.... ॥१११८॥ | सेणाहिवई भोइय ..... ॥१३४६॥| सोही पच्चक्खाणस्स... भा.२४७।। सुचिरंपि वंकुडाइं ..... ॥१३१४॥ | सेयं सुजायं सुवि०...... भा.२१०॥
[ह] सुजसा १४ सुव्वया०.... ॥३८६॥ | सेयपुरं ९ रिट्ठपुरं १० .... ॥३२४॥ हत्यमि मुहुत्तन्तो,.... ॥३३॥ सुट्टगाइयं सुट्ट०..... ॥१२९१॥ | सेयवि पोलासाढे.... भा.१३०॥ | हस्थिणउरं १ अओज्झा २... ॥३२३॥ सुट्ठतरं नासंती ..... ॥११११॥ | सेलघण कुडग..... ॥१३९॥ हत्थी छच्चित्थीओ..... ॥१६६। सुदृवि सम्मद्दिट्टी ....... ॥११६५॥ | सेवामि सेलकाण. ..... ॥१२६६॥ हत्थी हत्थीणिआओ ..... ॥५०३॥ सुत्तत्थतदुभयविऊ.... ॥पा.४६॥ | सेसा उ जहासत्तिं ...... ॥१३६७॥ हत्थुत्तरजोएणं कुंड०.... ॥४५९॥ सुत्तत्थब ...... ॥११८८॥ सेसा उ जहासत्तिं ..... ॥१५२१॥ हयं नाणं कियाहीणं,.... ॥१०१॥ सुत्तत्थो खलु पढमो,..... ॥२४॥ | सेसा उ दंडनीई..... ॥१६९॥ हरिसह सेयवियाए ...... ॥१६॥ सुनिउणमणाइणिहणं..... ॥ध्या.४५॥ | | सेसाणं परिआओ .... ॥३०१॥ हवइ पयावइ १ बंभो .... ॥४११॥ सुबहुंपिसुय महीय.... ॥१८॥ सो उस्सग्गो दुविहो..... ॥१४५४॥ हेऊदाहरणासंभवे य.... ॥ध्या.४८॥ सुमंगला जसवई २ ..... ॥३९८॥ सो एव जिप्पमाणो.... भा.३३॥ हेरन्निएं १ करिसए २ ..... ॥९४७॥ सुमइस्स कुमारत्तं ...... ॥२८१॥ | सो जिणदेहाईण... भा. २७॥ | होंति कमविसुद्धाओ..... ॥ध्या.६६॥ सुमई थ निच्चभत्तेण .... ॥२२८॥ | सो दाइ तवोकम्म..... ॥१५६९॥ | होति सुहासवसंवर..... ॥ध्या.९३॥ सुमिण १ मवहार २..... ॥४५८॥ | सो दाइ तवोकम्मं ..... ॥१५७१॥| होइ पवित्तिनीवित्ती.... ॥७४६॥ सुय धम्म तित्थ.... ॥१३०॥ सो देवपरिग्गहिओ ..... ॥४६०॥ होइ पसत्थं मोक्खस्स.... ॥७४१॥ सुयपडिवण्णा संपइ,..... ॥८५२॥ सो वाणरजूहवती ..... ॥८४७॥ होइ भयंतो भयअं०.....' |भा.१८४॥ सुयसम्म सत्तयं ..... ॥८५५॥ | सो वानरजूहवई ....... ॥१३०७॥| होही अजिओ संभव ...... ॥३७०॥ सुरगणसुहं समत्तं ...... ॥९८१॥ | सो विणएण उवगओ ..... ॥४२६॥ होही ते विणिवाओ ..... ॥१२६०॥ सुरहिपुर सिद्धजत्तो .... ॥४६९॥ सो सोयइ मच्चुजरा०..... ॥८३८॥ होही पज्जोसवणा..... ॥१५६८॥ सुविदियजगस्स०..... ॥ध्या. ३४॥ | सोउं उवट्टियाए ..... ॥१६२०॥ होही सगरो मघवं ..... ॥३७४॥
+ ૧૫૬૩ પછી.