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૩૯૮ આવશ્યકનિયુક્તિ હરિભદ્રીયવૃત્તિ અકારાદિક્રમ सुकयं आणत्तिं पिव ...... ॥१५२६॥ | सुहुमो य होइ..... ॥३७॥ | सोऊण कीरमाणी ...... ॥५९८॥ सुक्कंबरा य समणा ..... ॥३५७॥ | सूरे १७ सुदंसणे १८..... ॥३८९॥ | सोरिअसुरंबरेवि अ....... ॥१२९५॥ सुक्कज्झाणसुभाविय०....॥ध्या.८७॥ सूरोदय पच्छिमाए ...... ॥५५५॥ | सोरियसमुद्दविजए .... ॥१२९६॥ सुक्काए लेसाए दो .... ॥ध्या.८९॥ | सेएण कक्खमाई...... पा. २६॥ | सोलस चेव सहस्सा ...... प्र.॥ सुग्गीवे ९ दढरहे १०..... ॥३८॥ सेज्जं ठाणं च जदा.... ॥६९६॥ | सोलस रायसहस्सा.... ॥१॥ सुचिरंपि अच्छमाणो.... ॥१११४॥ सेज्जं ठाणं च.... ॥६९५॥ सोलस वासाणि.... भा.१२७॥ सुचिरंपि अच्छमाणो..... ॥१११८॥ सेणाहिवई भोइय ..... ॥१३४६॥ | सोहम्मकप्पवासी ..... ॥४९९॥ सुचिरंपि वंकुडाई ....... ॥१३१४॥ | सेयं सुजायं सुवि०..... ॥भा.२१०॥ | सोही पच्चक्खाणस्स... ॥भा.२४७॥ सुजसा १४ सुव्वया... ॥३८६॥ | सेयपुरं ९ रिट्ठपुरं १० ..... ॥३२४॥ | [ह] सुदृवि सम्मद्दिट्ठी ..... ॥११६५॥ | सेयवि पोलासाढे.... भा.१३०॥ | हत्थंमि मुहुत्तन्तो,..... ॥३३॥ . सुटुवाइयं सुट्ट०..... ॥१२९१॥ | सेलघण कुडग..... ॥१३९॥ | हत्थिणरं १ अओज्झा २... ॥३२३॥ सुद्भुतरं नासंती ....... ॥११११॥ | सेवामि सेलकाण. ..... ॥१२६६॥ | हत्थी छच्चित्थीओ.... . ॥१६६। सुत्तत्थतदुभयविऊ..... पा.४६॥ | सेसा उ जहासत्तिं ..... ॥१३६७॥ | हत्थी हत्थीणिआओ.... ॥५०३॥ सुत्तत्थबालवुड्ढे य ...... ॥११८८॥ सेसा उ जहासत्तिं ...... ॥१५२१॥ हत्थुत्तरजोएणं कुंड०..... ॥४५९॥ सुत्तत्थो खलु पढमो,.... ॥२४॥ | सेसा उदंडनीई.... ॥१६९॥ | हयं नाणं कियाहीणं, ... ॥१०१॥ सुनिउणमणाइणिहणं..... ॥ध्या.४५॥ | सेसाणं परिआओ...... ॥३०१॥ हरिसह सेयवियाए ..... ॥५१६॥ सुबहॅपिसुय महीय...... ॥९८॥ | सो उस्सग्गो दुविहो..... ॥१४५४॥ हवइ पयावइ १ बंभो.... ॥४११॥ सुमंगला १ जसवई २ ..... ॥३९८॥ | सो एव जिप्पमाणो.... भा. ३३॥ हेऊदाहरणासंभवे य.... ॥ध्या.४८॥ सुमइस्स कुमारत्तं ...... ॥२८१॥ | सो जिणदेहाईणं... ॥भा. २७॥ हेरन्निए १ करिसए २..... ॥९४७॥ सुमई थ निच्चभत्तेण ..... ॥२२८॥ | सो दाइ तवोकम्म.... ॥१५६८॥ होंति कमविसुद्धाओ.... ॥ध्या.६६॥ सुमिण १ मवहार २..... ॥४५८॥ | सो दाइ तवोकम्म..... ॥१५७०॥ होति सुहासवसंवर...... ॥ध्या.९३॥ सुय धम्म तित्थ..... ॥१३०॥ | सो देवपरिग्गहिओ .... ॥४६०॥ होइ पवित्तिनीवित्ती.... ७४६॥ सुयपडिवण्णा संपइ, ..... ॥८५२॥ | सो वाणरजूहवती ..... ॥८४७॥ होइ पसत्थं मोक्खस्स.... ॥७४१॥ सुयसम्म सत्तयं ..... ॥८५५॥ | सो वानरजूहवई ..... ॥१३०७॥ | होइ भयंतो भयअं०.... भा.१८४॥ सुरगणसुहं समत्तं .... ॥९८१॥ | सो विणएण उवगओ..... ॥४२६॥ | होही अजिओ संभव ..... ॥३७०॥ सुरहिपुर सिद्धजत्तो .... ॥४६९॥ | सो सोयइ मच्चुजरा०..... ॥८३८॥ | होही ते विणिवाओ...... ॥१२६०॥ सुविदियजगस्स.... ॥ध्या. ३४॥ | सोउं उवट्ठियाए ...... ॥१६१९॥ | होही पज्जोसवणा..... ॥१५६७॥ सुविहिय दुविहियं ..... ॥११२३॥ | सोऊण अणाउढेि ...... ॥८७७॥ होही सगरो मघवं..... ॥३७४॥ सुस्सूसइ पडिपुच्छइ..... ॥२२॥
+ ૧૫૬૩ પછી.