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________________ ૩૮૪ આવશ્યકનિયુક્તિ હરિભદ્રીયવૃત્તિ-અકારાદિક્રમ कालाए० सुण्णगारे..... ॥४७६॥| कित्तेमि कित्त०...... ॥१०७७॥| खेयविणोओ सीस०..... ॥५८८॥ कालियसुयं च.... भा.१२४॥| कुणओ व पसत्था० ..... ॥ध्या. १२॥| खोमं कुंडलजु०..... भा. ६७॥ काले चउण्ह वुड्डी,... ॥३६॥ कुल्लाग बहुल पायस ..... ॥४७४॥ [ग] काले तिपोरसिऽट्ट...... ॥१३५२॥ कसमद्री एगाए ...... पा.४८॥ गइइंदिए य..... ॥१४॥ कालेण असंखेणवि ..... ॥५७५॥ कुसुमाणि पंचव० .... भा.१००। गंगाओ दोकिरिया .... ॥७८०॥ कालेण कओ.... ॥७२९॥ केई तेणेव भवेण:.... ॥३३४॥ गंतूण जोअणं तु ..... ॥९६४॥ . कालेवि नस्थि करणं..... ॥१०१८॥ केवलणाणित्ति अहं..... ॥७५०॥ गंधव्वदिसाविज्जु०..... ॥१३३५॥ कालो संझा य तहा ..... ॥१३७७॥ | केवलणाणेणत्थे ... ॥७८॥ गंधव्वनागदत्तो ....... ॥१२५३॥ कालोऽवि सोच्चिय..... ॥ध्या. ३८॥ केवलनाणुवउत्ता ..... ॥९७८॥ गइ १ सिद्धा २...... ॥भा. १९७॥ कावालिए सरक्खे ...... पा.१७॥ केवलिणो तिउण ...... ॥५५९॥ गइ सिद्धा भवियाय..... ॥६६२॥ कावोयनीलकाला ...... ॥ध्या. २५॥ केसाईउवरयणं .... भा.१६१॥ गइआणुपुव्वी दो.... . . ॥१२२॥ कावोयनीलकाला०... ॥ध्या. १४॥ केसिंचि हुंतिऽमोहा..... ॥१३३७॥ गइनेड्याईया,.... ॥८॥ कासखुअजंभिए मा ..... ॥१५१३॥ को कारओ?,..... ॥१०३४॥ गणहर आहार ...... ॥५७०॥ कासवगुत्ता सव्वे .... ॥३९४॥ कोडीवरिसचिलाए ..... ॥१३११॥ गणिसद्दमाइमहिओ..... ॥१४१४॥ काहु ?उदिढे ....... भा. १७७॥ कोसंबिए सयाणीओ ..... ॥५२०॥ गब्भगए जंजणणी.... ॥१०८७।। किं? जीवो ...... ॥८९२॥ कोसंबियं जियसेणे ...... ॥१२८७॥ गब्भगए जं जणणी.... ॥१०८३॥ कि पिच्छसि साहूणं..... ॥१००३॥ | कोसंबी चंदसूरोयरणं ..... ॥५१७॥ गमणागमणविहार...... ॥१५३५॥ किं बहुणा ? सव्वं ..... ॥ध्या.६२॥ किं मण्णि अस्थि ..... ॥६०४॥ कोहमि उनिग्गहिए .... ॥१०६७॥ | गय१ वसह २ सीह३ भा.४६॥ किं मण्णि जारिसो .... ॥१६॥ [ख] गयउर सिज्जसिक्खु०.... ॥३२२।। ॥भा.५४॥ किं मण्णि गयगाहा ...... पंच ..... ॥६१२॥ | खंडियविरहियाणं ...... ॥१५०९॥ किं मण्णे निव्वाणं..... ॥भा.५६॥ गयगाहा ...... ॥६४०॥ | खइयंमि वट्टमाणस्स.... ॥७३५॥ किंमण्णे परलोगो .... ॥६३६॥ गयसीसगणं ओमे .... ॥११८५॥ खणमवि न खमं ....... ॥११२२।। किं मन्त्रसि संति ....... गरहावि तहाजाई० .... ॥१०५०॥ ॥६२४॥ खमणे य असज्झाए..... पा.६०॥ किं मन्नि अस्थि ...... ॥६००॥ गहणं तप्पढमतयां सुत्ते.... ॥७०२॥ खरफरुसाइसचेय०...... ॥१४५२॥ किं मन्नि पुण्णपावं .... ॥६३२॥ गहियंमि अड्ढरत्ते ...... ॥१३९७॥ खरवाय कलंकलिया .... ॥५०४॥ किंमन्नि बंघमोक्खा ...... ॥६२०॥ गाढालंबणलग्ग...... ॥१४८५॥ खवगे१० अमच्चपुत्ते११.... ॥९५०॥ किं मन्ने नेड्या ...... ॥६२८॥ गामाग बिहेलग ...... . ॥४८६॥ खिइवलयदीवसागर०.... ॥ध्या.५४॥ किं१३ कइविहं१४...... ॥१४॥ गामायारा विसया ...... ॥२३३॥ किंचिच्च (त्थ)... भा. ३०॥ खितिवणउसभकु०..... ॥१२८५॥ | गिण्हइ णाम एगस्स...... पा.५७॥ खितंमि जमि खित्ते...... ॥१०७३॥ गिण्डड य काइएणं,.... किइकम्मं च पसंसा ...... ॥११९३॥ ॥७॥ किइकम्मंच पसंसा ...... ॥११९५॥ खित्तस्स अवट्ठाणं,... ॥५७॥ गिहवासे अट्ठारस ..... ॥२८८॥ किइकम्मपि करितो ..... ॥१२०६॥ | खित्तस्स नत्थि करणं ..... ॥१०१७॥ गुणाहिए वंदणयं ....... ॥११४८॥ किड़कम्मपि करितो ...... ॥१२१३॥ खीरदहीवियडाणं ..... ॥१६०९॥ गुरुपरिओसगएणं.... ॥७०९॥ किइकम्मस्स विसोही... ॥भा.२५०॥| खेत्तदिसाकालगइ.... ॥८०४॥| गुरुमूलेवि वसंता ...... पा.८३॥ किइकम्माइविहिन्नू ..... ॥१६१६॥| खेत्ते काले जम्मे..... ॥४२॥ | गोटुंगणस्स मज्..... ...भा.२११॥
SR No.005755
Book TitleAvashyak Niryukti Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAryarakshitvijay
PublisherVijay Premsuri Sanskrit Pathshala
Publication Year2010
Total Pages410
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati & agam_aavashyak
File Size9 MB
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