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________________ ३२४ परिशिष्ट-५ . तत्त्वार्थाधिगमसूत्राणां बीजभूत “आगम सूत्राणि" . वरणिज्जकम्मविप्पमुक्के; खीणसायावेअणिज्जे खीणअसायावेअणिज्जे अवेअणे निव्वेअणे खीणवेअणे सुभासुभवेअणिज्जकम्मविप्पमुक्के; खीणकोहे जाव खीणलोहे खीणपेज्जे खीणदोसे खीणदंसणमोहणिज्जे खीणचरित्तमोहणिज्जे अमोहे निम्मोहे खीणमोहे मोहणिज्जकम्मविप्पमुक्के; खीणणेरइआउए खीणतिरिक्खजोणिआउए खीणमणुस्साउए खीणदेवाउए, अणाउए, निराउए खीणाउए, आउकम्मविप्पमुक्के; गइजाइसरीरंगोवंगबंधणसंघयण संठाणअणेगबोंदिविंदसंघायविप्पमुक्के खीणसुभनामे खीणअसुभणामे अणामे निण्णामे खीणनामे सुभासुभणामकम्मविप्पमुक्के; खीणउच्चागोए खीणणीआगोए अगोए निग्गोए खीणगोए उच्चणीयगोत्तकम्मविप्पमुकके; खीणदाणंतराए, खीणलाभंतराए खीणभोगंतराए खीणउवभोगंतराए खीणविरियंतराए-अणंतराए णिरंतराए खीणंतराए अंतराकम्मविप्पमुक्के; सिद्धे बुद्धे मुत्ते परिणिव्वुए अंतगडे सव्वदुक्खप्पहीणे, से तं खयनिप्फण्णे, से तं खइए। __ से किं तं खओवसमिए ? दुविहे पण्णत्ते, तं जहा - खओवसमिए य खओवसमनिप्फण्णे य। से किं तं खओवसमे ? चउण्हं घाइकम्माणं खओवसमेणं, तं जहा - णाणावरणिज्जस्स दंसणावरणिज्जस्स मोहणिज्जस्स अंतरायस्स खओवसमेणं, से तं खओवसमे। से किं तं खओवसम-निप्फण्णे ? अणेगविहे पण्णत्ते, तं जहा - खओवसमिआ आभिणिबोहिअ - णाणलद्धी जाव खओवसमिआ मणपज्जवणाणलद्धी खओवसमिआ मइअण्णाणलद्धी खओवसमिया सुअअण्णाणलद्धी खओवसमिआ विभंगणाणलद्धी खओवसमिआ चक्खुदंसणलद्धी अचक्खदंसणलद्धी ओहिदंसणलद्धी एवं सम्मदंसणलद्धी मिच्छादसणलदी सम्ममिच्छादसणलद्धी खओवसमिआ सामाइअचरित्तलद्धी एवं छेदोवट्ठावणलद्धी परिहारविसुद्धिअलद्धी सुहुमसंपरायचरित्तलद्धी एवं चरित्ताचरित्तलद्धी खओवसमिआ दाणलद्धी एवं लाभलद्धी भोगलद्धी उपभोगलद्धी खओवसमिआ वीरिअलद्धी एवं पंडिअवीरिअलद्धी बालवीरिअलद्धी बालपंडिअवीरिअलद्धी खओवसमिआ सोइन्दियलद्धी जाव खओवसमिआ फासिंदिय-लद्धी खओवसमिए आयारंगधरे एवं सुअगडंगधरे ठाणंगधरे समवायंगधरे विवाहपण्णत्तिधरे नायधम्मकहा० उवासगदसा० अंतगडदसा० अणुत्तरोववाइ अदसा० पण्हावागरणधरे विवाहसुअधरे खओवसमिए दिट्ठिवायधरे खओवसमिए णवपुव्वी खओवसमिए जाव चउद्दसपुव्वी खओवसमिए गणी खओवसमिए वायए, से तं खओवसमनिप्फण्णे। से तं खओवसमिए। से किं तं पारिणामिए ? दुविहे पण्णत्ते, तं जहा - साइपारिणामिए अ अणाइपारिणामिए अ। से किं तं साइपारिणामिए ? अणेगविहे पण्णत्ते, तं जहा - जुण्णसुरा जुण्णगुलो जुण्णघयं जुण्णतंदुला चेव। अब्भो य अब्भा य अब्भ रुक्खा संझा गंधव्वणगरा य॥२४॥ उक्कावाया दिसादाहा गज्जियं विज्जूणिग्घाया जूवया जक्खादित्ता धूमिआ महिआ रयुग्घाया
SR No.005750
Book TitleTattvarthadhigam Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdayprabhvijay
PublisherKeshar Chandra Prabhav Hem Granthmala
Publication Year2016
Total Pages376
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size12 MB
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