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(स) इत्यादिक सहु जगमें काम,
चंद्रयोगमें अति अभिराम ॥ २०३॥ चंद्रजोग थिर काज प्रधान,
कह्यो तास किंचित अनुमान । स्वर सूरजमें करीए जेह,
सुणो श्रवण दे कारज तेह ॥ २०४॥ विद्या पढे ध्यान जो साधे, ___ मंत्र साध अरु देव आराधे । अरजी हाकमके कर देव
अरिविजयका बीडा लेव ॥ २०५ ॥ विष अरु भूत उतारण जावे,
रोगीकुं जो दवा खिलावे । विधनहरण शांतिजल नाखे, __ जो उपाय कष्टीकुं भाखे ॥ २०६॥ गज वाजी वाहन हथियार,
लेवे रिपु विजय चित्त धार । खानपान कीजे असनान,
दीजे नारीकुं ऋतुदान ॥२०७ ॥