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________________ ध परिशिष्ट थावर - सुदुम - अपज्ज', साहारण अथिर- असुभ - दुभगाणि दुस्सर गाइज्जा - जसमिअ नामे सेअरा वीसं ॥ २७ ॥ तसच - थिरछक अथिरछक्क - बुहुम तिग - थावरचउक । सुभगतिगाइ विभासा, तयाइखाहि पयडीहिं ॥ २८ ॥ गइआईण उ कमसो, चउ-पण-पण-ति- पण-पंच-छ-छक्क | पण - दुग-पण- ट्ठ- चउ-दुग, इय उत्तरभेअ पणसट्ठी ॥ २९ ॥ अडवीसजुआ aिras संते वा पनरबंधणे तिसयं । बांधण-संघायगहो, तणुसु सामण्णवण्णचऊ || ३० ॥ इअ सतट्टी बंधोद य न य सम्ममीसया बधे । बद सत्ताए, वीस-वीस - ऽवण्णसयं ॥ ३१ ॥ नरय- तिरिन्नर- सुरगई, इग-बिअ-तिअ चउ-पणिदिजाईओ ओराल - विउच्चा- हारग- तेअ-कम्मण पण सरीरा ॥ ३२ ॥ बाहूरु पिडि सिर उर, उयरंग उवंग अ'गुलीपमुद्दा | सेसा अगोवगा पढमतणुतिगस्सुव गाणि ॥ ३३ ॥ उरलाइ पुग्गलाणं, निबद्ध बज्झतयाण संबंध । ज' कुणइ जउसम' त', उरलाइबंधण नेयं ॥ ३४ ॥ ज' संघाइ उरलाइ पुग्गले तणगण' व 'ताली । संघाय वधणमिव तणुना मेण पंचविह' ।। ३५ ।। ओराल विउबा - हारयाण सग तेअ - कम्मजुत्ताण' । नवघणाणि इअरदुसहिआण तिन्नि तेर्सि च ॥ ३६ ॥ ૧૮૯
SR No.005697
Book TitleKarmgranth Vivechan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendrasuri, Bhagwandas Harakhchand
PublisherBhogilal Jivraj
Publication Year1990
Total Pages454
LanguageGujarat
ClassificationBook_Gujarati
File Size24 MB
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