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________________ ૧. લવાદી ચર્ચામાં આવેલા નિર્ણયને સમર્થક શ્રી અહતિથિભાસ્કર ] अर्हत्तिथि-भास्कर वक्तव्य हिन्दी भाषा में अर्हत्तिथि-भास्कर का यह अर्थ-प्रकाश उन सज्जनों के लिये प्रस्तुत किया जा रहा है जिन्हें संस्कृत का अभ्यास अल्प है । इस पुस्तक में यथासम्भव पर्याप्त सरलता से मूल ग्रन्थ के विषयों को स्पष्ट करने की चेष्टा की गई है। इसके पूर्वार्ध में डाक्टर पी० एल० वैद्य, पूना-द्वारा जैन-पर्वतिथियों के क्षय और वृद्धि के विवाद में मध्यस्थ के अधिकार से दिये गये निर्णय के विरोध में काशी के म० म० प० श्री चिन्नस्वामी शास्त्री से लिखित " श्रीशासनजयपताका" का सप्रमाण खण्डन बहुत विशद रूप से किया गया है। उत्तरार्ध में आचार्य श्रीसागरानन्दसूरिजी के मत को प्रस्फुट रूप में उपस्थित कर जैनशास्त्र के अनेक प्रामाणिक-ग्रन्थों के आधार पर उसका सुविस्तृत खण्डन कर आचार्य श्रीरामचन्द्रसूरिजी के शास्त्रीय सत्य सिद्धान्त का विशद-विस्तृत समर्थन किया गया है और विपक्षियों को प्रस्तुत विषय के ऊपर प्रत्यक्ष शास्त्रार्थ करने के लिये आह्वान भी किया गया है। मूलग्रन्थ के अन्तिम भाग में उन प्रकाण्ड पण्डितों के वक्तव्यों का सन्निवेश किया गया है जिन्हों ने पहले प० श्रीचिन्नस्वामीजी की व्यवस्था पर हस्ताक्षर दिये थे किन्तु अब “अर्हत्तिथि-भास्कर" देखने पर अपना मत परिवर्तित करते हुए उस व्यवस्था की असारता बता कर अपनी सत्यनिष्ठता प्रकट की है। उनके अतिरिक्त काशी तथा अन्यान्य नगरों के सैकड़ों सुप्रतिष्ठित विद्वानों की सम्मतियाँ भी समाविष्ट की गई हैं जिन्हों ने विवादग्रस्त विषय के सम्बन्ध में दोनों पक्षों के वक्तव्यों का सम्यक् पर्यालोचन कर अपना मत देने की कृपापूर्ण उदारता की है। मुझे पूर्ण आशा है कि यह पुस्तक आचार्य श्रीसागरानन्दसूरिजी तथा उनके अनुगामियों द्वारा पर्वतिथियों के क्षय और वृद्धि के विषय में फैलाये गये अशास्त्रीय असत्य मतान्धकार को दूर कर समस्त जैनसंघ को एकता के सुदृढ सुवर्ण-सूत्र में आबद्ध करने में परिपूर्ण रूप से सफल होगी। संयोजकविद्वत्समिति, काशी. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005673
Book TitleTithidin ane Parvaradhan tatha Arhattithibhaskar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Pravachan Pracharak Trust
PublisherJain Pravachan Pracharak Trust
Publication Year1977
Total Pages552
LanguageGujarati, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati
File Size15 MB
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