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________________ (४०) चीठी तार देई करी, बोलावे हो ! गृहस्थ राखे संग; पांचक्रिया आगम कही, होवे हो ! संयमनों भंग .. सु. ३ बंदोबस्त पगारनो, खाणुं पीए॒ हो ! करे मुनि सार; रोकडीयो रहे वाणीयो, देखादेखी हो ! बध्यो प्रचार सु. १ रचना करावे पहाडनी, उभा हो ! रहे पोते आप; . अमुको लंबो पहोळो करो अज्ञानी हो ! रहे सेवे बहु पाप. सु०५ बंधावे उपासरा करावे हो ! जीर्णोद्धार गृहस्थ जेम उभा रहे, परभवनो हो ! नहीं डर लगार सु. १ पौषधशाळा उपासरा, निशंक हो ! दीये आदेश; अहीं चोकी आलिउं करो! अहीं वांचशे हो! व्याख्यान हमेश.सु०७ अमुकी बारी मेडो करो, भंडारीयु हो ! करो पुस्तक काज; ओछा जीवन कारणे, आज्ञा मुकी हो ! नहीं आवे लाज सु. ८ अणु मात्र पृथ्वीकायमां, जळबिंदु ए हो ! कह्या जीव असख्य; त्रस थावर हणावतां, लज्जा छोडी हो ! हुवा निःशंक सु. ९ लीपे साधु कारणे; छवावे हो ! छापरां केइ छाण; आचारांगमा वरजीया, दंड कह्यो हो ! निशीथ पिछाण. सु० १० मारा गच्छनो उपासरो, नहीं उतरे हो ! बीजो एनी मांह; घर छोडी मठ बांधीया, सूयगडांगे हो ! कह्या गृहस्थ तेह. सु. ११ उपर लगावे पाटीउं, जेमा हो ! पोतानुं नाम; एक देखी बीजो करे, एम बगडयुं हो ! इण भरतनुं काम सु० १२ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005581
Book TitleMajernamu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRatna Prabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year
Total Pages144
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size8 MB
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