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________________ (३९) हवे हो हाथ थाकी गयो, नहीं हो ! कोई लीलानो पार; मुनि मंडळ उद्धारजो, खोटो खरो हो ! तमारो परिवार. सु, ३५ ___ ढाल ११ मी-मुनिने वस्त्र तथा पात्र दोषित न लेवा अने निर्दोषित पण प्रमाणोपेत राखवा अने राखे ते उपर पण ममत्वभाव न राखवो अने संचय पण न करवो, केवल संयमयात्रा निभावका माटेज राखवा. . सावध निर्वद्य अधिकार दोहरा. सावध योग तजी करी, लीधो संयमभार; जाव जीव नहीं आचरे, वीर वचन अणगार. . . सावध भाषा बोले नहीं, नेहथी लागे पाप; अदेश उपदेश जाण्या विना, करवो नहिं आलाप. २ ढाळ १२ मी निर्वधक्रिया आचरे, करे हो ! निर्वद्य उपदेश; मुनि गणमांहे शोभता, नहीं लागे हो ! जेने पापनो लेश सु. १ गृहस्थ योग सावध कह्या, नही कल्पे हो ! आवो जाओ उठ; अहीं बेसो अमुको करो, सावध बोल्यो हो ! सत्यने कह्यो जुठ. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005581
Book TitleMajernamu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRatna Prabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year
Total Pages144
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size8 MB
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