SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 39
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ३९ ) भगवती सूत्र श० ४५ मां मूल पाठमा ६७ दिननी वांचना ते पण जुदा जुदा शतक अने जुदा जुदा दिवसोनुं विवेचन करेलुं छे. ते तो असत्य थई जाय, अने पाछलथी कल्पीत छ मास सत्य थई जाय, आवात कया विद्वानो मानसें ! हुं हुं हुं के छ मास कया २ शतकना छे अने केटला शतक केटला २ दिवसमां वचाय ? शुं पोप पंन्यासो एनो उत्तर आपी शकसे ? उपधान माटे जो तमे कहता हसो के विना उपधान नवकार मंत्र भणवाथी अनन्त संसारी थाय छे. तो हुं तमने पुछुछु के उपधान करीने नमकार मंत्र भणवावाला केटला छे ! सोमां नही पण हम एक को कदाच मलसे, कारण ज्यारे जैनोनो चार वर्षनो छोकरोके छोकरी थाय छे त्यारे तेओना गुरु अने गुरुणीओ विचारा निरापराधी छोकराओने विना उपधान नवकार मणावी अनंत संसारी शामाटे बनावे छे! शं ते छोकराओनी तेओंना हृदयमां दया नथी ! एज नहीं पण केटलाक उपधान करावनार आचार्योंने, अने पंन्यासोने पुछवामां आवे के तमे उपधान तो करावो छो, परन्तु तमेज नवकारना उपधान कोनी पासे कर्या छे. तो पछी पंन्यासोनी ढोलनी पोलमा जुवो अनन्त संसारीना ढगलाना ढगलाज नीकली पडे ! आगल अंजन सलाका, प्रतिष्टा, उपधान, रात्रि रोसनी करावी, श्रावकोए देरासरमां नाचकूद, दांडीया रमवा स्त्रियोए गरबागावा, गाडाने गाडा माटी मंगावी पहाड रचाववा, संघ साथे साधु साध्वीओ रात्रि दिवसमां साथेज चालवं, अने गाडा अने उंट साथे राखवा, Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005581
Book TitleMajernamu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRatna Prabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year
Total Pages144
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy