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(३) आ पुछेला प्रश्नोंने अने मेझरनामाने शुं संबंध छ ? अगर एमज होय तो धारा सभामां एक आवो कायदो पसार कराववो जोईये के अमुक हूढीयामाथी आवेलो होय, अमुक दिवसे आव्यो होय, अमुकनी पासे दीक्षा लीधी होय, अमुक व्यक्ती ए नाम आप्यु होय, अमुक रंगमां होय, केटलो लांबो पहोलो होय, साधु होय के गृहस्थ होय अने अमुकनी रजा होय तोन सत्य वात लखी शके.
याद राखशो के ज्यां सुधी आवो कायदो जैनोमां प्रसार न थाय त्यां सुधी आ स्वतंत्र विचार वाला विद्वानो सत्य बात दुनीयानी सन्मुख जाहेर करवामां कदी पण पाछा हटशेज नहि...
महाशयो ! ध्यानमा राखसो हवे एवो जमानो नथी के एक बीजाना विचारोने कोई दबावी शके अथवा आडा अवला प्रश्नो करीने एक बीजा ने हलको पाडी शके. ज्यारे अमारी उपर मोटा २ आचार्यो, पन्यासो अने साधुभोनां कागल मोटा मोटा विशेषणो वाला थोकबन्ध आव्या, ते वखते उक्त प्रश्नो केम नथी पूछ्या,तेमज हुं ज्यारे साथमा रहेतो हतो त्यारे पण आप्रश्नो पुछवामां नथी आव्या, त्यारे आ ढोल जेटली पोल खोलवा वालुं मेझरनामुं वांचीनेन आ प्रश्नो पुछवामां आव्या छ ? तेनो अर्थ विद्वानो पोतानी मेलेन समझी सकशे, परन्तु एटलुं तो याद राखसो के हुं तमारा चोपडामां साधु तरीके नाम मंडावा आq त्यारेज तमारे तेवा प्रश्नो करवाना हक छे. ज्यारे हुं एक शासन सेवक तरीके ओलखाववा धारूं छु..
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