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(२६) मने उदारता थी कहवा दो के परमात्मा वीरप्रभु पण दुराचारीओना पक्का शत्रून हता, आ वात तेओ श्रीना सिद्धान्तथी झलकी आवे छे. जुवो सुयगडांग आदि सूत्र. . ... सज्जनो ! दुराचार- खंडन करवं आ कोईनी निन्दा नथी, . 'पण सदाचारनुं मंडनन छे, दुराचारनुं खंडन अने सदाचारनुं मंडन : आज काल थतुं नथी, पण आ प्रवृत्ति पूर्व महाऋषि
ओीज चाली आवे छे, एटले नवीन नथी. .भात्मबंधुओ ! आपणे अत्यार सुधी एम मानता हता के-खरा हो के खोटा पण आपणा गुरुदेव छे तेओना दुराचार जाहेरमा मुकवाथी आपणीज हांसी थशे. आ आपणा विचारो मोटा भूल भरेला हता अने आवा खोटा विचारोथी आपणे आज सुधी केटला मोटा नुकसानमां उतरी पड्या छीये. - आने लोको घरमां गाममा समाजमां के देशमां कचरोके सडो होय ते बाहर फेंकी देवा सीखी गया छे अने एज तेओनो खरो उन्नतिनो मार्ग छे, त्यारे नैनोए एवी गंभीर भूल करी अग्निने रुमां शामाटे संघरी राख्यो हशे ?
केटलाक अज्ञान लोको पासत्थाओना लपेटामां आवेलां अने रुतीनां गुलामो बनी एम कहे छे के आपणां गुरु देवोना दोषो गमे तेटलो नसानकारी होय तो पण प्रकाशमां नन लाववा जोईये, 'अने जो ते दोषों प्रगट करशो तो शासननो उच्छेद थशे, धर्मनो ध्वंस पसे, भने तेथी गुरुना अभावे धर्मोपदेश कोई संभला
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