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(२२) त्रण निर्नामा लेखोनो उत्तर.
नवा जमानानी नवी रोसनीमां घणी समानो प्रकासमां आवी उन्नतिना शिखर पर पहोंची गई छे अने केटलीक समानो उन्नतिनो प्रयत्न करी रही छे । ज्यारे जैन समाजनु दुर्भाग्य कहो के दीर्घ काळनो प्रमाद कहो, के जेने उन्नतिनुं स्वप्न पण आवतुं नथी. अरे उन्नति तो दूर रही पण केटलाक समाजना आगेवानो अने धर्मगुरुओ, नाम धरावता (जेना उपर समानना मोटो आधार छ ) पडदा पाछळ रही प्रपंचजाल मांडी बेठा छे. जाणे क्लेशनो तो कंट्राटज लीधो होय. ___ कोई पण व्यक्ति समाजनी उन्नतिनो सवाल समाजना आगळ मुके अने अवनति नुं कारण बतावी खोटी रुढियोने काढवानो दावो करे, तो झघडा मंडलनी प्रपंच पार्टी एकदम हुमलो करी नास्तिक के निंदक पापी कहीने तेने तुरतन तोडी पाडवानो प्रयत्न करे, अगर एटलाथी न पते तो पांच पच्चीस अन्ध श्रधालुओने आगेवान बनावी संघबाहर मुकवानी धमकी आपवामां पण कचास राखता नथी, शु! एवान संघने तीर्थकर नमस्कार करता हशे ! नहीं नहीं आवा अन्यायकारक अने सुख शिलियाने तो शास्त्रकारे हाडकाना ढगलाज कह्या छे. यथा- .
सुहसीलाओ सकुंद चारिणो, वेरीणो सिपहस्स; आणा भटाउ वहु जणाओ, मामणह संघोति ॥
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