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जिनके नाम उपर्युक्त विष्णुपुराण के ही मढे का है, विष्णु पुराण के अनुसार पाँचवा अनुसार है । इनमें पहले पहले की अपेक्षा मट्ठा तथा छठा दूध का है । आगे आगे के द्वीप का परिमाण दुगुना बौद्ध परम्परानुसार आठ पर्वत और आठ है । ये समुद्र के बाहरी भागो में चारों ओर समुद्र है। फैले हुए है । (१८)
अन्तिम समुद्र में जम्बूद्वीप आदि ४ द्वीप सात समुद्र क्रमशः लवणोद इक्षुरस, है । तदनुसार लोक के अधोभाग में १६००००० सुरोद, सर्पिस-सलिल, दधितोय, क्षीरोद और योजन ऊँचा अपरिमित वायु मण्डल है, इसके स्वादु जल के है । (१९)
ऊपर ११२०००० योजन ऊँचा जल मण्डल है, यहाँ क्रम में थोडा अन्तर है। भागवत के जिसमें ३२०००० योजन भूमण्डल है। अनुसार पाँचवां समुद्र दूध का तथा छठा भूमण्डल के बीच में मेरू पर्वत है । आगे
मध्यलोक सामान्य
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नोट:-
प्रस नाली में अपर की ओर से देखने पर ऐसा दिखाई देता है।
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और सिद्धान्न नाश से साभार
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