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महान सोमार्णव के स्थूल रुप दृष्ट चन्द्र- वैज्ञानिकोंकी चन्द्रलोक की यात्रा से मण्डल में भी बहुत सी दिव्यताओं के होने धार्मिक मान्यताओं पर किसी प्रकारकी आंच पर भी गैज्ञानिकों को उनका अनुभव नहीं हो नहीं आई है। सकता । उन्हें वहां मिट्टी एवं ज्वालामुखी क्योंकी वशिष्ठ के मान्त्रिक-प्रभाव से का ही अनुभव हुआ ।
___ राजा रघु का रथ जल स्थल, पर्वत, तथा जिस प्रकार पृथ्वी पर पार्थिव-शरीर होता आकाश में समान गति से जाता था। है, तथा सूर्य लोक में तैजस शरीर होता है, वणादि की चन्द्रलोक यात्रा प्रसिद्ध ही है। उसी प्रकार चन्द्रलोक की सारी दिव्य वस्तुएं ऊन लोगों को जहाँ इन लोकों की दिव्यता ऊस लोक के अनुरुप ही है।
का अनुभव हुआ था, वहाँ वैज्ञानिकों के लिये
वे दिव्य सारी बाते आज अनुसन्धेय ही बनी परमाणु रुप पृथ्वी की भाँति ऊस दृश्य चन्द्र से पृथक व्यापक सोम-मण्डल है जो सूर्य मण्डल से करोडों मील ऊपर है। भविष्य बतायेगा कि मैज्ञानिकों को स्वर्गीय-लोगों का सम्बन्ध उसीसे है। उसमें कितनी सफलता मिलती है ?
धारणा और वास्तविक्ता ज्ञान की पारिसीमा पर्याप्त विस्तृत है । विभित्र-मनीषियों द्वारा विभिन्न -माध्यमों से जिसका अन्वेषण किबा गया हो उसे केवल कतिपय धारणाओं से धूमिल नहीं किया जा सकता हैं ।
धारणा केवल मन की भूमिका पर अधिकार जमाती है, जबकि वास्तविक्ता सत्य के समीप ले जाकर उस की परतों को एक-एक करके उघाडती हैं और हृदय पर ऐसा सुदृढ़ प्रभाव स्थापित कर देती हैं कि-वृक्षों को उखाड फेकने वाले वायु का वेग उन्नत शिलोच्चथी पर्वत के समक्ष मूर्छित मात्र रह जाता हैं ।
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