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________________ दूसरे पट्टे की किरणों पर पृथ्वी का चुम्बकीय बल कम होने से दूसरे की अपेक्षा तीसरे पट्टे को भी कम - शक्ति से आकर्षण कर सकता है । और इसीसे पृथ्वी सूर्य के आसपास प्रदक्षिणा करते समय एक जैसे बल से आकर्षण नहीं कर सकने के फलस्वरुप पास के वायुवाले वातावरण तथा वायुरहित दूर के वातावरण में स्थित तीसरे पट्टे को एक जैसी तेज गति से खींच नहीं सकती । जिससे पृथ्वी पहले पट्टे के आगे निकल जाये । पहले पट्टे बीच में से की अपेक्षा Jain Education International २० दूसरा पट्टा उससे पीछे रह जाये और तीसरा पट्टा तो बहुत ही पीछे रह जाये, इसी कारण से पृथ्वी पर ये तीन पट्टे स्थिर रह नहीं सकते हैं । पृथ्वी सूर्य के आसपास प्रदक्षिणा नहीं करती हो तो ही पृथ्वी के निकट की ऊँचाई में स्थित स्थूल वायु के स्तर, ऊपर की पतली हवा के स्तर तथा उससे बहुत दूर एवं एकएक से भी अत्यन्त दूर और एक-एक से कम शक्तिवाले किरणोत्सर्गी पट्टे पृथ्वी पर सदा के लिये टिक सकते हैं । यह ात प्रमाणित करती है कि "पृथ्वी सूर्य के आसपास नहीं घूमती है ।" विज्ञानका विश्लेषण धारणा अथवा मान्यता की मूलभित्ति कल्पना और परिणति से निर्मित होती है, जब कि वास्तविकता के लिये अलौकिक - उपादानों का सबल सहयोग होता हैं । For Personal & Private Use Only लौकिक- प्रयास की आत्म-प्रत्यय और www.jainelibrary.org
SR No.005568
Book TitleJambudwip Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVardhaman Jain Pedhi
PublisherVardhaman Jain Pedhi
Publication Year
Total Pages190
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size23 MB
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