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* जम्बूद्वीप ___ यह तभी सम्भव है जब पृथ्वी गोल हो । आज भूभगोलस्य रचना कुर्यादाश्चर्यकारिणीम् । भी ये तथ्य बहुत स्पष्ट हैं कि जब भारत में सूर्यो- अभीष्टं पृथिवीगोलं कारयित्वा तु दारवम् ।। दय होता है तब अमेरिका में सूर्यास्त होता है ।
दण्डं तन्मध्यगं मेरोरुभयत्र विनिर्गतम् । पूर्वोक्त विष्णुपुराण में स्पष्ट कहा गया है कि सूर्य स्थिर है और पृथ्वी का जो भाग सूर्य के सामने
माधारकक्षाद्वितयं कक्षा वैषुवती तथा ॥ पा जाता है वही प्रकाशित होकर दिन कहलाने
सूर्यसिद्धान्त, १३॥३-४ लगता है। इससे स्पष्ट है कि पृथ्वी घूमती है । आज भी बम्बई से रोम जाने में 8 घंटे लगते हैं। इस एक मेरू या ध्रव पर जब सूर्य चमकता पर रोम से बम्बई आने में ६ घंटे ही लगते हैं। है तो दूसरे पर रात्रि रहती है तथा दूसरे पर जब यह समय-भेद पृथ्वी की अनुकूल और प्रतिकूल दिन रहता है तो पहले पर रात्रि रहती है । यह गति के कारण ही होता है।
तथ्य आज भी स्पष्ट है। सर्यसिद्धान्तकार लकड़ी का पृथ्वी का गोला इस विवरण से स्पष्ट है कि भारतीय प्राचीन बनाने की सलाह देता है। उसके मध्य दोनों ओर प्रामाणिक ग्रन्थों में भी सर्य तथा पृथ्वी के विषय निकला दण्ड डाला जाए। दण्ड के ये दोनों सिरे में जो धारणाएं व्यक्त की गयी हैं, वे बहुधा प्राज ही मेरु हैं । अर्थात् जो आज उत्तरी तथा दक्षिणी के विज्ञान से भी पुष्ट होती हैं। ध्रव हैं, वे ही मेक हैं।
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