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३२
अनेकान्तजयपताका
परिशिष्ट - ९
क्रम
नाम
६१. शिवाय ६२. शुभगुप्त ६३. सम्मति ६४. सम्मति (टीका) ६५. सरस्वती ६६. सर्वज्ञसिद्धि ६७. सर्वज्ञसिद्धिटीका ६८. सिद्धसेनदिवाकर ६९. सिद्धार्थ ( पार्थिव) ७०. सिद्धार्थ (वन) ७१. सुगत ७२. सुमेरु
पृष्ठ तथा पंक्ति पृष्ठ-८४९, पंक्ति-११ पृष्ठ-६९७, पंक्ति-७ पृष्ठ-११६४, पंक्ति-६ पृष्ठ-१८, पंक्ति-८, पृष्ठ-२०७, पंक्ति-९ पृष्ठ-८३२, पंक्ति-२०, पृष्ठ-९८९, पंक्ति-६ पृष्ठ-९६५, पंक्ति-२-१२ पृष्ठ-१२, पंक्ति-६, पृष्ठ-२०८, पंक्ति-५ पृष्ठ-१८, पंक्ति-६ पृष्ठ-३८८, पंक्ति-२४ पृष्ठ-३८७, पंक्ति-५ पृष्ठ-५८३, पंक्ति-२३ पृष्ठ-६६७, पंक्ति-१-३-४-५-६-७, पृष्ठ-६६८, पंक्ति-५-६-७, पृष्ठ-६६९, पंक्ति-६, पृष्ठ-६६९, पंक्ति-२१, पृष्ठ-६७०, पंक्ति-२-२२, पृष्ठ-६७१, पंक्ति-५ पृष्ठ-५६६, पंक्ति-६, पृष्ठ-६०१, पंक्ति-९ पृष्ठ-१४६, पंक्ति-८ पृष्ठ-२३८, पंक्ति-८, पृष्ठ-४३५, पंक्ति-२-९, पृष्ठ-५५९, पंक्ति-१-२-७-८, पृष्ठ-५६०, पंक्ति-१० पृष्ठ-१२६८, पंक्ति-१-५, पृष्ठ-१२७१, पंक्ति-५
७३. स्याद्वादकुचोद्यपरिहार ७४. स्याद्वादभङ्ग ७५. हिमवत्
७६. हेतुबिन्दु
दूषयेदज्ञ एवोच्चैः, स्याद्वाद्वं न तु पण्डितः । अज्ञप्रलापे सुज्ञानां, न द्वेषः करुणैव तु ॥६४॥
- अध्यात्मोपनिषद्।
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