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अथ तृतीय श्री संभवजिन स्तवनम्
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|| धणरा ढोल - ए देशी ||
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श्री संभव जिनराजजीरे. ताहरूं अकल स्वरूप, जिनवर जो। स्व-पर प्रकाशक दिनमणि रे. समता रसनो भूप, जिनवर पूजो! पूजा पूजोरे भविकजन पूतोरे, प्रभु पूज्यां परमानंद जिनवर.॥१॥
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