________________
अथ त्रयोविंश श्री पार्श्वनाथजिन स्तवनम्
॥ कडखानी देशी ||
ASTRAMERAY
सहज गुण आगरी स्वामी सुखसागरे, ज्ञान वयरागरो प्रभुसवायो। शुद्धता एकता तीक्ष्णता भावथी, मोह रिपु जीती जय पडह वायो॥
सहज.॥१॥
ZUZANWZRSZ
Jain Education international
For Per
v
ate Use Only
www.jainelibrary.org