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अथषष्ठ श्री पदाप्रभजिन स्तवनम्
॥ हुं तुज आगळ शुं कहुं केसरिया लाल - ए देशी ॥
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श्री पद्मप्रभ जिन गुणनिधिरेलाल, जगतारक जगदीश रे बालेसर। जिन उपगारथकी रुहेरेलाल, भविजन सिद्धिजगीशरेबालेसर
॥॥
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