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________________ (५) मो० ॥ १२॥ मो० ॥ महारो तोशुं राग, कंत बता पहेलो हुतो ॥ मो मो॥माग्या ढलीया आज, मदारे तोशु मतो॥ मो० ॥१३॥मो० ॥ वात अडे शहां एक, तुरत कंत कीजे नहीं ॥ मो० ॥मो॥जो कीजे ए काम, प्रेत थ पीडे सही ॥ मो० ॥१४॥ मो० ॥ पमखो मास मास, जिम कहेशो तेम कीजीए ॥मो॥मो॥ जिहां ने थारो वास, मुहूर्त तिहांकणे लीजीए ॥मो० ॥१५॥मो॥शेठे मानी वात, धीरपणुं मनमें धडे । मो० ॥ मो० ॥ धववं एटलुं दूध, हवे कारज महारु सयुं ॥ मो० ॥१६॥ मो॥ पुप्फदंते धर्यो उहास, नगर कदी जाशुं वही ॥ मो० ॥ मो० ॥ कहे श्रीजिनोदय सूरि, हवे वछराजनी कहुं सही ॥मो॥१७॥ सर्व गाथा॥१॥ ॥ दोहा ॥ ॥ पाणी मांहे पमतां थका, नव पद धरीयुं ध्यान ॥ नवकारे की, किस्युं, दीधुं जीवितदान ॥१॥मछ पूठे जा पड्यो, बेगे जिम असवार ॥ तिण विध देवे प्रेरीयो, लंघे जलनिधि पार ॥२॥सात दिवस लगे सामटो, वह तरीयो जल मांहि ॥ कुंती नगरी मूकीयो, बेठो तरुनी हि ॥३॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005393
Book TitleHansraj Vacchraj no Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1917
Total Pages114
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size7 MB
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