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(६१)
हवे वास रे॥जो ॥ कोटवाल सबलो हुई रे, वादे केहो वास रे॥जो ॥ ॥ राजा मरायो चोरटो रे, सो घर राख्यो श्राप रे ॥ जो० ॥ पुत्र करीने थापीयो रे, तिण आयो माय बाप रे ॥जो ॥ ए॥ एक पुत्र मारे अ रे, नामे ने पुप्फदंत रे ॥ जो॥ समुख जणी ते चालशे रे, जीजा दिवसने अंत रे ॥ जो ॥ १० ॥ कोटवाल सुत जे कीयो रे, सोय देवाडो राय रे ॥ जो॥ तेहने सेवक थापशुं रे, देशं बहुलो पसाय रे ॥ जो० ॥१९॥ तेहने करीशुं श्राजी. विका रे, देशु सहस्त्र दीनार रे ॥ जो॥ कोटवाल राय तेमीयो रे, राय कहे सुविचार रे ॥ जो ॥१५॥ शेठ जणी पुत्र श्रापवो रे, वचन हमारं मान रे ॥जो॥ कोटवाल मन चिंतवे रे, रीझवीयो राजान रे ॥जो ॥१३॥ हसतां रोतां प्राहुणो रे,श्रागे दो तट पाळे वाघ रे॥ जो० ॥ दिवस होवे जब पाधरो रे, दिन दिन वाधे आथ रे॥जो॥१४॥ शेठ जणी पुत्र सोंपीयो रे, पाण्यो घर वलराज रे ॥जो ॥ मुम्मण शेठ मन चिंतवे रे, हवे मुज सरीयां काज रे॥जोन ॥ १५॥ प्रवहण पासे आणीयो रे, बेसाड्यो लेश गम रे ॥जो ॥ पुत्र जणी एहवं कहे रे, करजो पूरूं
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