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(६०) चाले नहीं लगार ॥ मन चिंता मुम्मण हुश्, कीजे किस्यो प्रकार ॥५॥
दाल चोथी वांगरीयानी देशी ॥ मुम्मण तेड्यो ज्योतिषी रे, जोवो लगन विचार रे ॥ जोशीमा ॥ प्रवहण केम चाले नहीं रे, जो करो उपचार रे ॥जो॥१॥ किण देव दोषज कीयो रे, विचारो हैमा मांहि रे ॥ जो ॥ हुँ मानीश तारो बोलमो रे, देगुं बहुत पसाय रे ॥ जो ॥२॥शेठ जणी कहे ज्योतिषी रे, राखी थापण गेह रे॥जो॥ तिणे पापे हाले नहीं रे, जाणो लगनमां नेह रे ॥ जो० ॥३॥शेठ सुणी मन चमकीयो रे, साच कही सहु वात रे ॥ जो ॥ शेठे वात सुणी तिसे रे, नरनो न हुई घात रे ॥ जो ॥४॥ कोटवाल घर राखीयो रे, थाप्यो श्रापण पुत्त रे॥ जो० ॥सुणी वात मन शंकीयो रे, कवण हु ए सुत रे ॥ जो ॥५॥ दिन पांचे जातां थका रे,होशे मुजने साल रे॥जो॥ राजाने जाइ मलु रे, नेट अमूलक आल रे॥जोग ॥६॥ आगे लेट मूकी करी रे, शेठे कीयो प्रणाम रे ॥जो॥राजा आदर आपीयो रे, श्राया कीये काम रे॥ जो० ॥ ७॥ शेठ कहे खामी सुणो रे, हुं बोडं
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