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(४)
॥ ढाल बीजी॥ ॥श्रेणिक मन अचरिज थयो ॥ ए देशी ॥ ॥ कौतुकीया कौतुक नणी, ले सघलो साजो रे॥ एकण विण सहुको मिट्या, एक नहीं महाराजो रे ॥१॥ जेवू घर दीपक विना, अंधकार किम जायो रे॥ एकपदी राजा विना, गोवाला विण गायो रे॥ जे॥२॥ तिणे अवसर तिहां आवीयो, मनकेसरी मनरंगो रे ॥ लोक लाख मिट्यां जिहां, प्रणमे सहु जबरंगो रे ॥जे०॥३॥आदरदै आयो गयो,पहोतो राजा पासो रे ॥ आसंगो करी अति घणो, सामि सुणो अरदासो रे ॥ जे० ॥ ४ ॥ तुम दरबार सहु खडे, नेटण आया काजो रे ॥ दिनकर पण उंचो चढ्यो, उगे श्रीमहाराजो रे ॥ जे॥५॥ मंत्री वचन राय जागीयो, बालस मोमी अंगो रे ॥सुतो सिंह जगावीयो, कीधो निसानंगो रे ॥ जे० ॥६॥ कोपानल राजा हुर्ज, रातां लोचन कीधरे॥रीस गरे राय जीयो, खांडं दाथे लीध रे॥ जे० ॥ ७॥ रे मूरख की, कीस्युं, हुँ निजामांहि आजो रे ॥कणयापुर पाटण गयो, कनकम तिहां राजो रे ॥ जे ॥ ॥ तस पुत्री हंसावलि, अपनरने अनुहारो रे॥
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