________________
(ए) धरम, सकलिगल हनुमंत ॥ जलयंत्रधिगुरु रुधिर वष, कांजशु कपूरदंत ॥७॥नरमोम लंगो गुणगुहिर, अकलंक धिंगम मास ॥ भैरव नूतशिला जलो, कालरूप सुखवास ॥७॥ लोहिताद ने बाबरो, जस बल अधिक शरीर ॥ कालपीठ ने जंगमो, गरगतीयो धरधीर॥ ए ॥ अग्निजाल ने आगीयो, चाचरीयो चोमुख ॥लोहखरो ने नूचरो, देतो दादर फुःख ॥१॥ शक्तिकुमर ते सामटा, सघले मानी हार ॥ वीर सहु मन खलजल्या, हुर्ड किस्यो प्रकार ॥ ११ ॥
॥ ढाल त्रीजी॥ ॥राग सिंधू ॥ चरणाली चामुंमा रण चढे ॥ए देशी॥
वीर सहु मन चिंतवे, ए हुवा आपण सालो रे॥पांचे दिन जातां थका, श्हांथी आपणो कालो रे॥वी०॥१॥ बावन वीरे शुं कीयो, पटुता देवी पासो रे॥ हम सेवक सहु ताहरा, पूर हमारी श्रासो रे॥वि०॥२॥ हंसावलि राणी तणा, बेहु हुश्रा अंगजातो रे॥ बल बुझि गुण आगला,हुवा सहु विख्यातो रे॥वी ॥३॥ बे बालकनो वध करो, के करो घणा सचिंतो रे ॥ देशवटो पूरे दीयो, थमने करो निचिंतो रे ॥ वी०॥४॥ शक्ति कहे तुमे सांजलो,
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org