________________
( २८ )
स० ॥ ए ॥ जोयां लगन मिली ज्योतिषी रे राय, बोले सहु विचार ॥ विहाण सरिखो को नहीं रे राय, श्राखे वरष मकार ॥ स० ॥ १० ॥ तत्ति वचन सहुए कीयो रे राय, मान्यो जोषीनो बोल ॥ इण दिवस मलीया थकां रे राय, होशे सही रंगरोल ॥ स० ॥ ११ ॥ सहुको जन थानक गयां रे राय, कीधो भूप पसाय ॥ रतन दको ते आपीयो रे राय, उलट अंग न माय ॥ स० ॥ १२ ॥ सर्व गाथा ॥ २२ ॥
॥ दोहा ॥
॥ राय पासे जोजन कीयो, बोले बावन वीर ॥ जाशुं नदीए नरबदा, जोस्यां जोर शरीर ॥ १ ॥ दमो लेने वालीया, मलीया नरना थाट ॥ की मी नगरांनी परे, वहेता मारग वाट ॥ २ ॥ हंस वह एक दिशे, श्क दिशि बावन वीर ॥ जूजे मूजे धसमसे, नदी नरबदा तीर ॥ ३ ॥ जे जण श्रगल हारशे, सो पशे सहु पाय | लहु वमाइ को नहीं, शंका म करो कांय ॥ ४ ॥ मेघनाद सहुमें वमो, बीजा नामी त्रोम ॥ काल जयंकर मुंजोलो, शंखचूम शुलिमोम ॥ ५ ॥ जीम जयंकर पांडुरो, बमनल ने विखमोम ॥ गोरको गुणवंतो वली, सबलो संकलतोम ॥ ६ ॥ नगरफाम धरनि
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org
Jain Educationa International