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( ३६ ) रुमी परे राय एम ॥रा० ॥ ७ ॥ शुभ मुहूर्त्त शुन वासरे ॥ रा० ॥ पुरोहित पुत्र दीयो साथ ॥ रा० ॥ पांच धाइ प्रतिपालजो ॥ रा० ॥ लेजो हाथो हाथ ॥ रा० ॥ ८ ॥ साथै संबल घालीयां ॥ रा० ॥ घाल्यां बहुलां दाम || रा० ॥ रहेतां को जाऐ नहीं ॥ रा० ॥ रहेजो तेवे गम ॥रा० ॥ ए ॥ शीखामण देश करी ॥ रा०॥ ले चाल्या परदेश || रा० ॥ नगर जलुं देखी करी ॥रा० ॥ कीधो तिहां प्रवेश ॥ रा० ॥ १० ॥ शुन नगरे रहेतां थका ॥ रा० ॥ वर्ष हुआ जव पांच ॥ रा० ॥ बेदु जणावण मांगीया ॥ रा० ॥ ते न करे खल खांच ॥रा० ॥ ११ ॥ पुरुष तणी बहोंत्तर कला ॥ रा० ॥ शीख्या थोडे काल ॥ रा० ॥ नारी तणी चोसठ कला ॥ रा० ॥ वली शीखी रागमाल ॥ रा० ॥ १२ ॥ शस्त्र तणी शीखी कला ॥ रा० ॥ शीखी सघली नाख ॥ रा० ॥ पनर वर्ष पूरा हुआं ॥ रा० ॥ सघलां केरी शाख ॥ ० ॥ १३ ॥ सर्व गाथा ॥ २९७ ॥
॥ ढाल बीजी ॥
॥ राग मारु ॥ नल नगरीथी नीसस्यो रे राय ॥ ए देशी ॥
॥ जिए दिन कुमर वे मूकीया रे राय,
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राणी हुइ
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